नवभारत संपादकीय (डिजाइन फोटो)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में 3 भिन्न विचारधारा वाली पार्टियों की सरकार बनने के बाद से कुछ मंत्रियों व विधायकों पर आरोपों की बौछार होती आ रही है। पिछले कृषि मंत्री धनंजय मुंडे को बीड़ के हत्या प्रकरण और भ्रष्टाचार के आरोप में पद खोना पड़ा। उनके बाद संजय शिरसाट का नोटों से भरे बैग के साथ वीडियो जारी हुआ।
गृह राज्यमंत्री योगेश कदम का मां के नाम से डांस बार लाइसेंस होने की बात सामने आई। बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर के कार्यकर्ताओं ने विधान भवन में मारपीट की। शंभुराजे देसाई ने सदन में विपक्षी विधायकों को अपनी दबंगियत की झलक दिखाई। कोई कितनी भी चूक करे, उसे बचा लिया जाता है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने योगेश कदम का बचाव किया। अजित पवार ने सदन में मोबाइल पर रमी खोलने वाले अपनी पार्टी के माणिकराव कोकाटे का विभाग बदल दिया और उन्हें खेल मंत्रालय दिलाया। किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दे पर कोकाटे का रवैया असंवेदनशील था। किसी मंत्री के पास नोटों के बंडल मिलना या डांस बार पर छापे जैसे मामले क्या जांच का विषय नहीं हैं?
कोकाटे की वजह से फडणवीस और अजित पवार ने मंत्रियों का फेरबदल कर दिया, लेकिन इसके आगे क्या? यद्यपि मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि आगे से ऐसा नहीं चलने दिया जाएगा परंतु इससे यही संदेश गया कि सख्त कार्रवाई करने में उनके हाथ बंधे हुए हैं। वह शिंदे का दिल नहीं दुखाना चाहते।
कृषि विभाग मिलने के बाद से ही कोकाटे बार-बार विवादित बयान दे रहे थे। कभी उन्होंने कहा कि क्या ढेकलों का पंचनामा किया जाए तो कभी अपनी ही सरकार को भिखारी कह दिया। संभवत: सामने स्थानीय निकाय चुनाव होने या शिंदे को दिल्ली से मिला हाईकमान का आशीर्वाद होने जैसे कारण आड़े आए होंगे।
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राज्य में सरकार का प्रचंड बहुमत है और विपक्ष कमजोर है इसलिए बदनामी की किसी को चिंता नहीं है। क्या कोकाटे को खेल, युवा कल्याण तथा अल्पसंख्यक विभाग देना सजा माना जा सकता है? कदापि नहीं! क्या रमी खेलने पर उनकी रुचि के अनुरूप खेल मंत्रालय दिया गया?
कृषि विभाग की जिम्मेदारी अजीत पवार के विश्वासपात्र दत्तात्रेय भरणे को दी गई। कोकाटे को मुख्यमंत्री फडणवीस तथा उपमुख्यमंत्री अजीत पवार द्वारा नसीहत देने या फटकार सुनाने जैसी बात हुई लेकिन फिर विभाग बदल कर मामले का पटाक्षेप कर दिया गया।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा