प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि उनकी सरकार एक महत्वाकांक्षी आर्थिक एजेंडा शुरू करने जा रही है जिसमें विकास को बाहरी आघातों को बचाने के लिए नई पीढ़ी के सुधार किए जाएंगे।इस उद्देश्य से पुराने जटिल कानूनों को समाप्त कर नियमों व प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाएगा।कार्यप्रणाली व मंजूरी को डिजिटल बनाया जाएगा।ऐसा माहौल बनाया जाएगा जिसमें अर्थव्यवस्था बड़ी छलांग लगा सके।पिछले एक दशक में सरकार पुरानी नीतियों व योजनाओं में सुधार करते हुए नई नीतियां लाती रही है।
जीएसटी लागू करने के अलावा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, डिजिटल ट्रांसफर के अलावा श्रम क्षेत्र में भी सकारात्मक कदम उठाए गए।1991 में नई अर्थव्यवस्था लागू होने पर जो सुधार किए गए थे वह अधूरे थे।इसके बाद दूसरी पीढ़ी के सुधार भी अपर्याप्त थे जो उम्मीद के अनुसार पर्याप्त निवेश लाने में सफल नहीं हुए।अभी जमीनी स्तर पर उन अवरोधों को दूर करना है जो विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति में बाधक बनते हैं।अनावश्यक नियमों व बाधाओं को हटाने से ही उद्योगों की प्रगति हो सकेगी।आज भी उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन हासिल कर पाना एक बड़ी चुनौती है।भारी टैक्स रियायतों के बाद भी निवेश नहीं बढ़ पाया है।
यद्यपि जीडीपी में 6.8 प्रतिशत की हर साल औसत वृद्धि कायम रही है लेकिन इसकी वजह यह रही कि सरकार ने अधिकांश भार खुद वहन किया।निजी क्षेत्र के लिए विभिन्न प्रोत्साहन देनेवाली योजनाओं के बावजूद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र जीडीपी के 17 प्रतिशत पर ही अटका रहा।कोरोना काल में भी यह क्षेत्र प्रभावित हुआ।जीडीपी की वृद्धि के लिए निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ानी पड़ेगी।उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं की वजह से 12 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।इसे और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए नई नीतियां बनाते समय सरकार को देखना होगा कि इससे व्यावसायिक हित प्रभावित न होने पाएं।अभी हाल ही गेमिंग उद्योग को करारा झटका लगा है।
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व्यवसाय में लगनेवाली पूंजी अचानक जोखिम में नहीं आनी चाहिए।भारत की बड़ी आबादी को देखते हुए सरकार को बुनियादी ढांचे, शिक्षा व स्वास्थ्य में निवेश करना आवश्यक है।यहां यह भी जरूरी है कि लोकलुभावन योजनाओं में सरकारी खजाना व्यय करने की बजाय यह रकम विकास कार्यों में लगाई जाए जहां लोगों को रोजगार मिल सके।बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ ही उसकी सुरक्षा भी बनी रहे इसलिए सरकार को रक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता देनी होगी।पिछले दिनों पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल मुनीर ने द्वेष भावना से भारत को मर्सिडीज और पाकिस्तान को ट्रक बताया था।क्या इस ट्रक के घिसे टायर इसे आगे बढ़ा पाएंगे?
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा