(डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, आपने देखा होगा कि सत्ता से चिपकने के बाद कोई नेता अपना रिटायरमेंट प्लान नहीं बताता लेकिन केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह इसके अपवाद हैं। उन्होंने कहा है कि रिटायरमेंट के बाद अपना जीवन वेद, उपनिषद के अध्ययन और प्राकृतिक खेती करने में बिताएंगे।’
हमने कहा, ‘वेद, उपनिषद और धर्मग्रंथों के अध्ययन का विचार बहुत अच्छा है। भीमसेन जोशी ने गाया था- जो हरि को भजे, वही परम पद पाएगा! चूंकि अमित शाह सहकारिता मंत्री हैं इसलिए संभवत: सहकारी खेती या को-आपरेटिव फार्मिंग करेंगे। प्राकृतिक खेती करते समय प्रकृति के सानिध्य में रहेंगे और गुनगुनाएंगे- मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, जमीन से जुड़े राजनेता की पहचान है कि वह खेती में रुचि रखता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी दिल्ली के समीप मेहरोली में कृषि फार्म था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की भी धापेवाड़ा गांव में खेती है जहां उनकी पत्नी कंचन गडकरी ने आर्गेनिक खेती करके 1-1 किलो वजन के बड़े-बड़े प्याज उगाए हैं जिसे देखकर लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं। यह भी दावा किया गया है कि श्रीसूक्त जैसे मंत्र को श्रद्धापूर्वक पढ़ने से फसल पर अनुकूल असर पड़ता है।’
हमने कहा, ‘यदि ऐसी बात है तो महाराष्ट्र के हजारों किसान आत्महत्या क्यों करते हैं? उन्हें रासायनिक खाद का इस्तेमाल बंद कर गोबर खाद, कंपोस्ट, केंचुआ खाद का उपयोग करते हुए अच्छे बीज बोकर प्राकृतिक खेती करनी चाहिए। साथ में मंत्रशक्ति को भी आजमा कर देखना चाहिए। आर्गेनिक फसलों व मोटे अनाज या मिलेट के भाव भी अच्छे मिलते हैं। डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि गेहूं-चावल की बजाय ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी खाओ।’
पड़ोसी ने कहा, ‘अमित शाह ने कहा कि उनके खेत में नेचुरल फार्मिंग होती है जिसमें लगभग डेढ़ गुना बढ़ोतरी हुई है। प्राकृतिक खेती के लिए एक गाय ही काफी है। इसके गोबर से तैयार खाद से 21 एकड़ की खेती की जा सकती है। शाह ने बताया कि उनके गांव का हर किसान परिवार साल में 1 करोड़ से ज्यादा कमाता है।’
हमने कहा, ‘तब तो महाराष्ट्र के किसानों को अमित शाह से ऐसी कमाई वाली खेती का रहस्य पूछना चाहिए। जो लेखक व पत्रकार कागज के खेत पर कलम का हल चलाकर स्याही से सींच कर शब्दों की खेती करते हैं, उन्हें भी अमित शाह से खेती-किसानी की प्रेरणा मिल सकती है।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा