
गजब के हैं अमेरिकी पुलिसमैन (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, अमेरिका की पुलिस के बारे में आपकी क्या राय है? हमने तो सुना है और हॉलीवुड की फिल्मों में देखा भी है कि वहां के पुलिसवाले या कॉप बड़े स्मार्ट होते हैं और अपनी जगमगाती लाइट और सायरनवाली सफेद कार से पीछा कर बड़े-बड़े अपराधियों को पकड़ लेते हैं।वह संदिग्ध व्यक्ति पर रिवाल्वर तान देते हैं और हैंड्सअप कहकर सरेंडर करने को कहते हैं।इसके तुरंत बाद कार के बोनेट पर उसका सिर दबा कर, हाथ पीछे कर हथकड़ी लगा देते हैं.’
हमने कहा, ‘अमेरिका की पुलिस कितनी शक्की और बेवकूफ है, इसकी मिसाल सामने आई है वहां बाल्टीमोर में एक 16 वर्षीय छात्र को पुलिस ने लपक कर हथकड़ी पहना दी क्योंकि एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम ने गलती से पहचान कर ली थी कि वह छात्र गन लिए हुए है जबकि वास्तव में उसके हाथ में सिर्फ चिप्स का पैकेट था।उसने चिप्स खाने के बाद खाली पैकेट अपनी जेब में रख लिया था।पुलिस की 8 कारों का दस्ता वहां दनदनाता हुआ तुरंत पहुंच गया और पिस्तौलें दिखाकर उसे जमीन पर लेटने को कहा और हथकड़ी लगा दी।असल में स्कूल में लगे गन डिटेक्शन सिस्टम ने टैकी एलन नामक उस छात्र के हाथ में चिप्स के पैकेट को गलती से फायरआर्म या गन समझ लिया और अलर्ट जारी कर दिया.’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यदि एआई पर ज्यादा निर्भर रहेंगे और अपना दिमाग नहीं लगाएंगे तो ऐसा ही गड़बड़ घोटाला होता रहेगा।हमारी भारतीय पुलिस आज भी परंपरागत तरीके से चलती है।शक होने पर पकड़ो और थाने में लाकर पिटाई करो तो आरोपी गुनाह कबूल कर लेता है।अमेरिका की पुलिस का पैटर्न अलग है।वहां हर पुलिसकर्मी आफिसर कहलाता है और उनके ऊपर सीधा पुलिस चीफ होता है।वहां कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, एएसआई, पीएसआई जैसे रैंक नहीं होते।वहां का आफिसर ब्लैक ड्रेस, पी कैप पहनता है और आंखो पर काला चश्मा लगाता है।
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जहां किसी घर में रात को झगड़ा या शोरगुल हुआ तो 911 नंबर पर फोन करते ही कुछ मिनिटों में पुलिस की गाड़ियां आ धमकती हैं।यदि कोई अपराधी जंगल में घुस गया तो हेलिकाप्टरों से सर्चलाइट के जरिए उसको खोजा जाता है।वहां सारे देश में इंटरनेट पर फरार अपराधी का फोटो या स्केच पूरे डिटेल के साथ पहुंच जाता है और नाकाबंदी होने से उसका बच निकलना नामुमकिन होता है.’ हमने कहा, ‘अमेरिका की पुलिस की ज्यादा तारीफ मत कीजिए।जो चिप्स के पैकेट को गन समझ ले, वह सोचिए कितनी बेअक्ल होगी!’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






