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एक राष्ट्र एक चुनाव के लिये पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया। इसके अनुसार लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ करना शामिल है। यह बात सही है कि 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ हुआ करते थे परंतु 50 वर्ष से भी ज्यादा के अंतराल में परिस्थिति बदल चुकी है।
कानून-व्यवस्था की समस्या की वजह से चुनाव कई चरणों में कराए जाते हैं। महापालिकाओं का चुनाव टलता चला जाता है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिये बड़ी तादाद में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों और वीवीपैट मशीनों की आवश्यकता होगी। इस पर 9,284.15 करोड रुपए की लागत आएगी। हर 15 वर्ष बाद इन मशीनों को बदलना पड़ेगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्थानीय निकाय चुनावों पर विचार नहीं किया क्योंकि इनका इंतजाम राज्यों के चुनाव आयोग देखा करते हैं। विधि आयोग व कोविंद समिति को चुनाव आयोग ने बताया कि 2029 में एक राष्ट्र एक चुनाव कराने के लिए ईवीएम की 53.76 लाख बैलट यूनिट तथा 38.67 लाख कंट्रोल यूनिट के अलावा 41.65 लाख वीवीपेट मशीनें भी खरीदनी होंगी।
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इन मशीनों के परिवहन, वेयर हाउस में रखने तथा प्रथम स्तरीय चेकिंग पर अतिरिक्त खर्च आएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि ईवीएम और वीवीपैट बनाने का काम भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) करती हैं। उन्हें अतिरिक्त मशीनों के निर्माण के लिए समय लगेगा।
इसके अलावा एक साथ चुनाव कराने में और भी कठिनाईयां हैं जिनमें सुरक्षा की आवश्यकता तथा मौसम का मिजाज भी शामिल है। सुरक्षा के पहलू को देखते हुये इस वर्ष लोकसभा चुनाव के साथ कश्मीर विधानसभा का चुनाव नहीं कराया जा सका। एक साथ चुनाव कराने के लिए सुरक्षा बल की 400 से 500 अतिरिक्त कंपनियां चाहिए।
प्रशासनिक मशीनरी ने भी कहा कि वह एक साथ निर्वाचन की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकती। सुरक्षा प्रबंधों को देखते हुये कश्मीर के साथ अन्य राज्यों का चुनाव कराना संभव नहीं था। 5 अक्टूबर को हरियाणा में मतदान होगा। महाराष्ट्र का चुनाव नवंबर में होगा। जब इस समय भी 3-4 राज्यों के चुनाव एक साथ कराना संभव नहीं होता तो एक देश, एक चुनाव कैसे संभव हो पाएगा?
लोकसभा चुनाव में 10.48 लाख मतदान केन्द्र बनाए गए थे और 1 करोड़ मतदान व सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे। यदि लोकसभा के साथ सभी विधानसभाओं का चुनाव कराया जाए तो यह संख्या और बढ़ेगी।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा