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नवभारत डेस्क: लोकसभा स्पीकर ने अनजाने में ही क्यों न हो, ऐसे विषय मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ने जैसा है। इसके पीछे के असली खेल का पता करने के लिए जांच करने को कहा लेकिन जनता को लगता है कि जांच की जरूरत नहीं बल्कि इन कंपनियों की मक्तेदारी तोड़ने का समय आ गया है। बीजेपी के एकछत्र शासन के 10 वर्ष बाद जब भी आम आदमी को विमान यात्रा की जरूरत पड़ती है तो उसकी रूह कांप जाती है। महंगी टिकट के इस खेल में भारत सरकार, विमान मंत्रालय, विमान कंपनियों के मालिकों, टिकट बेचनेवाले पोर्टल और वेबसाइट की गहरी मिलीभगत है। सरकार ने विमानन कंपनियों को मनमानी कीमत वसूलने की खुली छूट दे रखी है। यह एक बड़ा घोटाला है।
अब भी विमान यात्रा करनेवाले 80 फीसदी यात्री जब तक बहुत जरूरी न हो, उड़ना नहीं चाहते। इसका कारण महंगी टिकटें हैं। मंत्रियों, अधिकारियों और उनके परिवारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनकी जेब से 1 रुपया भी खर्च नहीं होता। लोकसभा अध्यक्ष ने भले ही कहा कि संसद का पैसा खर्च होता है, लेकिन विमानन मंत्री की जिम्मेदारी है कि जिस जनता की जेब से पैसे लेकर संसद का कामकाज चलता है, उसके घर की तिजोरी पर जो डाका डाला जा रहा है, उसकी जांच की जाए। स्पीकर व मंत्री जानते हैं कि संसद में बात उठी है तो जांच करनी ही पड़ेगी। भले ही इसमें लीपापोती हो जाए। सर्वदलीय समिति बनाकर इस पूरे मामले की जांच करनी चाहिए।
विकसित देशों में विमानन कंपनियों की संख्या बढ़ती रही है लेकिन भारत ऐसा देश है जहां इनकी संख्या कम होती जा रही है। व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता का कारण बताकर कुछ कंपनियों को बंद कर दिया गया था, कुछ बंद हो गई। ऐसा तब हो रहा है जब भारत सरकार इस सच्चाई से वाकिफ है कि विमान यात्रियों की तादाद बढ़ती जा रही है। एक सामान्य व्यक्ति जब हवाई सफर करता है तो टिकट पर 10,000 रुपए से कम नहीं खर्च होते। इस खर्च में घर से निकलकर लौटने का खर्च जोड़ लिया जाए तो एक बार के दौरे में 15,000 रुपए तक खर्च हो जाते हैं। यह कैसे अच्छे दिन हैं, पता नहीं!
प्रधानमंत्री मोदी ने सब्जबाग दिखाए थे कि वे हवाई चप्पल वाले को भी हवाई जहाज में उड़ते देखना चाहते हैं लेकिन हवाई चप्पल वाले की चप्पल घिस गई और उसका सपना पूरा नहीं हुआ। अब तो सूट- बूटवाले भी अपने खर्च से हवाई यात्रा करने से बचते हैं। सिर्फ टिकट ही महंगी नहीं है बल्कि विमानतल पर पीने के पानी से लेकर खाने-पीने की चीजों के दाम भी आसमान छूते हैं। इस बेशर्म मुनाफाखोरी की भी जांच होनी चाहिए, इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और बताया जाए कि टिकट इतनी महंगी क्यों है? लेख संजय तिवारी द्वारा