चुनाव जीतेगा मुकद्दर का सिकंदर ( सोर्स: डिजाइन फोटो )
Navbharat Digital Desk: पड़ोसी ने हमसे कहा,“निशानेबाज, हमें बताइए कि महानगरपालिका का चुनाव लड़ने वाले सुयोग्य उम्मीदवार को कैसे पहचानें, क्योंकि उनमें से कुछ बगुला भगत हैं, तो किसी की संगत ठीक नहीं है। कोई अवैध कारोबार चलाता है, तो किसी का बीयर बार है।”हमने कहा,“कौन क्या करता है, इस पचड़े में बिल्कुल मत पड़िए। वैसे भी, रेस में जीतने वाले घोड़े और चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार को पारखी नज़र रखने वाले ही पहचान सकते हैं। फिर भी आप मानकर चलिए कि जो जीता वही सिकंदर! हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं और कुशल नेता किसी बाजीगर से कम नहीं होता।”
पड़ोसी ने पूछा,“निशानेबाज, उम्मीदवारों की इस भीड़ में से जीतने वाले को आखिर कैसे पहचानें? शीशे के टुकड़ों में असली हीरा कौन है?”हमने कहा,“जीतने की क्षमता वाले दबंग नेता या तो जेल में हैं अथवा दल बदलकर दूसरे खेमे में चले गए हैं। उन्हें आप चिराग लेकर खोज सकते हैं। ऐसे-वैसे चिराग से काम नहीं चलेगा। कहीं से अलादीन का जादुई चिराग खोज लाइए।”
पड़ोसी ने कहा,“निशानेबाज, पुलिस किसी चीज़ को खोजने के लिए खोजी कुत्तों का सहारा लेती है। हम जीतने वाले प्रत्याशी को ढूंढ़ने के लिए किसका सहारा लें?” हमने जवाब दिया,“आप चश्मा लगाकर अपनी चौफेर दृष्टि से उम्मीदवारों की भीड़ पर निगाह डालिए। वहां आपको अक्ल के अंधे और गांठ के पूरे लोग नज़र आएंगे। इन्हीं में से कोई अपनी किस्मत के दम पर बाज़ी मार लेता है।”
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पड़ोसी ने कहा,“निशानेबाज, इसमें किस्मत की क्या बात है? यहां तो ‘एक अनार, सौ बीमार’ वाली स्थिति है। पार्टी के नेता हैरान हैं कि किसे प्रत्याशी बनाएं। इतनी बड़ी महफ़िल है। ये दिल इसको दूं या उसको दूं! जनसेवी, ईमानदार और सिद्धांतवादी कार्यकर्ता को ही उम्मीदवारी दी जाएगी।”हमने मुस्कराते हुए कहा,“ऐसे उम्मीदवार की तो जमानत जब्त हो जाती है। चुनाव जीतने वाले के पीछे धनशक्ति और उसके समाज या जाति की जनशक्ति बहुत काम करती है। उसे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के वोट काटने का हथकंडा आना चाहिए। जिसमें लुभावने वादे करने का हुनर और जनता को सम्मोहित करने का कौशल हो, उसके लिए चुनाव जीतना बाएं हाथ का खेल है।”
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा