मुइज्जू ने 15 घंटे मुंह चलाया (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने बहुत मुंह चलाया। उन्होंने लगातार 15 घंटे तक प्रेस कांफ्रेंस कर वर्ल्ड रिकार्ड बना दिया। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का रिकार्ड तोड़ दिया और सुबह 10 बजे से आधी रात तक पत्र परिषद को संबोधित करते रहे।’ हमने कहा, ‘आजकल की अंग्रेजी में प्रेस कांफ्रेंस को ‘प्रेसर’ कहते हैं। जरा सोचिए कि इतनी लंबी प्रेस कांफ्रेंस से पत्रकारों पर कितना प्रेशर पड़ा होगा। कुछ को अपनी लघु शंका और दीर्घ शंका को जबरन रोक कर सवालों के जरिए अपनी शंका व्यक्त करनी पड़ी होगी।
आश्चर्य है कि छोटे से द्वीप समूह के राष्ट्रपति ने कई घंटों तक इतनी बड़ी-बड़ी बातें क्यों कीं? क्या इससे ‘छोटा मुंह बड़ी बात’ वाली कहावत सार्थक नहीं होती?’ पड़ोसी ने कहा, ‘कोई नेता कितनी भी बक-बक करे, अखबारों में निर्धारित स्पेस में ही उसका बयान छपता है। मुइज्जू के मुंह बोले पत्रकार भी उनकी 15 घंटे की प्रेस कांफ्रेंस का विवरण नहीं छाप पाएंगे। मुइज्जू को इतनी देर तक मुंहजोरी करने की बजाय कोई ठोस काम करना चाहिए था। हमारे भारत का कोई पत्रकार वहां मौजूद रहता तो मुइज्जू को मुंह पर सुना देता- ये मुंह और मसूर की दाल! चल आए मुंह उठा के और लगे बकवास करने!’
हमने कहा, ‘आपने मुंह की बात की तो कुछ लोगों के मुंह में राम बगल में छुरी होती है। कुछ माह पूर्व मुइज्जू भारत के एहसानों को भूलकर चीन की चमचागिरी करने लगे थे। उन्होंने भारतीय सुरक्षा बल को भी वापस भेज दिया था। वह मालदीव में चीनी नौसेना का अड्डा बनाने की फिराक में थे। जब भारत ने जमकर फटकार सुनाई तो मुइज्जू का मुंह उतर गया।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज प्रेस कांफ्रेंस का नियम यह होता है कि कोई नेता अपनी ओर से बयान दे और उसके बाद पत्रकार उससे संबंधित सवाल पूछें।
कुछ नेता बहुत नपे तुले शब्दों में संक्षिप्त बयान देने के बाद सिर्फ 1 या 2 सवालों का एक लाइन में जवाब देकर कहते हैं नो क्वेश्चन प्लीज और अपना मुंह फिराकर गाड़ी में बैठकर निकल जाते हैं। मुइज्जू को इतना मुंह बजाने की बजाय उनसे कुछ सीखना चाहिए।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा