महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उनके दोनों उपमुख्यमंत्रियों अजीत पवार और एकनाथ शिंदे के बीच संवाद की कमी है। इस संवादहीनता के बारे में आप क्या कहेंगे?’ हमने कहा, ‘संवाद न होने से आपस में विवाद भी नहीं होता। एक व्यक्ति दूसरे की बात का प्रतिवाद नहीं करता। इसलिए आपसी बहस या झगड़े की गुंजाइश नहीं रहती। महात्मा गांधी के पास 3 बंदरों के पुतले थे। एक अपने मुंह पर हाथ रखे हुए था, दूसरा कान पर और तीसरा आंख पर।
इसका संदेश था- बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो। जब मुंह बंद रहेगा तो आदमी अच्छा या बुरा कुछ भी नहीं बोल सकता।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यह संवाद का युग है। लोग मोबाइल पर लगातार बतियाते रहते हैं। कुछ भी बोलो, सार्थक या निरर्थक लेकिन बोलते रहो। लेकिन हमारे फिल्मी सितारे अपने मन से एक बात भी नहीं बोल पाते। वे संवाद लेखक के लिखे डायलाग रटकर बोलते हैं।’ हमने कहा, ‘जब एक व्यक्ति दूसरे को पसंद नहीं करता तो उससे बात नहीं करता। मुख्यमंत्री फडणवीस ने एक म्यान में 2 तलवारें रखी हैं।
यदि दोनों डिप्टी सीएम एक दूसरे से अबोला रखते हैं तो उनकी मर्जी! एक राजा की 2 रानियां थीं। दोनों को प्यास लगी तब कोई नौकर-चाकर उपलब्ध नहीं था। इसलिए समस्या उत्पन्न हो गई। आखिर एक ने कहा- मैं भी रानी, तू भी रानी, कौन भरे कुएं से पानी! जरूरत पड़ने पर दोनों के बीच संवाद हुआ!’ पड़ोसी ने कहा, ‘पौराणिक काल के पहले संवाददाता नारद थे जो देवताओं और दैत्यों के बीच संवाद प्रेषक का काम करते थे।
आज भी मीडियामैन संवाद प्रेषण या कम्युनिकेशन में लगे रहते हैं। हनुमान ने राम का संदेश सीता तक पहुंचाया था। इसी तरह अंगद ने भी राम का चेतावनी संदेश रावण दरबार में जाकर दिया था। डिप्लोमेसी में संवाद का बड़ा महत्व है। संवादहीनता से गलतफहमी फैलती है इसलिए आमने-सामने बातचीत होना बहुत जरूरी है।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा