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नवभारत डिजिटल डेस्क: ब्रिटेन यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर 5 मार्च को जब लंदन के चौथम हाउस थिंक टैंक में ‘भारत का उदय और विश्व में भूमिका’ विषय पर संवाद सत्र में भाग लेकर वापस जा रहे थे, तभी एक खालिस्तानी आंदोलनकारी ने न सिर्फ उन पर बढ़कर हमले की कोशिश की, बल्कि विदेश मंत्री के सामने ही हमारे राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ दिया और देश के विरुद्ध अपमानजनक नारे लगाए, हालांकि ब्रिटिश पुलिस ने इस शख्स को तुरंत दबोच लिया, लेकिन वह चाहती तो ऐसी नौबत ही न आने देती।
हिंदुस्तान में हम किसी ब्रिटिश नागरिक के आसपास तो दूर, ब्रिटिश हाई कमीशन से भी आंदोलनकारियों को दूर रखते हैं। दिल्ली स्थित किसी भी विदेशी दूतावास या हाई कमीशन के बाहर जब भी कोई विरोध प्रदर्शन होता है। तो पुलिस प्रदर्शनकारियों को कम से कम 50 गज दूर रखती है। चाहे ब्रिटेन हो या कनाडा, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के नाम पर ये भारत विरोधी ताकतों को सर पर चढ़ाकर रखते हैं।
लंदन में वायरल वीडियो से पता चलता है कि भारत विरोधी प्रदर्शनकारी विदेश मंत्री के 4-5 मीटर निकट तक पहुंच गया था, यह खतरनाक हो सकता था। आमतौर पर सिर्फ किसी वीआईपी की जान की सुरक्षा का ही प्रोटोकॉल नहीं होता, बल्कि उसके निकट किसी अपमानजनक स्थिति या असहज करने वाला माहौल न पैदा हो। इसका भी ध्यान रखा जाता है। भारत सरकार को यह सब हल्के में नहीं लेना चाहिए।
सवाल है ब्रिटेन हो या कनाडा, नीदरलैंड हो या अमेरिका, जर्मनी हो या फ्रांस, आखिर पश्चिमी देशों में भारत विरोधियों को मानवाधिकारों और लोकतंत्र के नाम पर इस तरह सिर क्यों चढ़ाया जाता है? यह कोई सहजता में घट जाने वाली घटना नहीं है। ब्रिटेन में भारतीय प्रवासियों का एक बड़ा समुदाय है, जिसमें बड़ी तादाद में पंजाबी सिक्ख हैं। ये समुदाय राजनीति में सक्रिय हैं और कुछ थोड़े से तत्व इनमें खालिस्तानी विचारधारा का समर्थन करते हैं।
अब चूंकि ब्रितानी लेबर पार्टी सिक्ख वोट हासिल करने के लिए खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरमी बरतती है, इसलिए ब्रिटेन में न सिर्फ कई सांसद खालिस्तानी समर्थकों से जुड़े होते हैं, बल्कि उनके दबाव में ये भारत विरोधी बयान भी देते रहते हैं। दूसरा बड़ा कारण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाखंड है। पश्चिमी देश खुद की संप्रभुता को महत्वपूर्ण मानते हैं। लेकिन भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता उन्हें कतई महत्वपूर्ण नहीं लगती। उन्हें लगता है कि कुछ दशकों पहले तक तो भारत हमारा गुलाम था, आज विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने की शान कैसे पा रहा है?
यही वजह है कि भारत को कम महत्व देने की कोशिश की जाती है। ब्रिटेन अभी भी भारत को छोटे भाई के सरीखे व्यवहार करने का आदी है। क्योंकि ब्रिटेन ने कभी भारत पर औपनिवेशिक राज किया था, इसलिए वह हमारी ताकत के संदर्भ में सहज नहीं है। भारत एक ग्लोबल पावर के रूप में उभर रहा है, यह बात इन्हें हजम नहीं होती। इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से ये तमाम देश अपने यहां भारत विरोधी ताकतों को हवा देकर हमें दबाव में रखने की कोशिश करते हैं।
भारत को इन सारी हकीकतों को जानते हुए ब्रिटेन के खिलाफ विदेश मंत्री जयशंकर पर हमले की कोशिश और उनके सामने तिरंगे के अपमान को जरा भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए। फिलहाल हमें ब्रिटेन की कम, ब्रिटेन को हमारी जरूरत ज्यादा है। ब्रिटेन को हमारी इस विकास कर रही अर्थव्यवस्था से अपने फायदे वाला व्यापार समझौता भी करना है। भारत को ब्रिटेन सहित सारी पश्चिमी सरकारों को सख्त लहजे में संदेश देना चाहिए कि वो किसी भी भारत विरोधी रवैय्ये को जरा भी बर्दाश्त नहीं करेगा। ब्रिटेन खुद अपने देश में किसी भी अलगाववादी या आतंकवादी को बर्दाश्त नहीं करता।
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2023 में भी लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर इसी तरह से हमला हुआ था और तब भी भारतीय ध्वज का अपमान किया गया था। लेकिन भारत सरकार का तब भी रवैया ढुलमुल ही रहा था। अगर तब सरकार ने सख्त कदम उठाये होते, तो आज यह नौबत नहीं आती। भारत सरकार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री तक सख्त लहजे में यह संदेश पहुंचाना ही होगा कि हम अपने किसी महत्वपूर्ण नागरिक और हमारे स्वाभिमान का जीता जागता रूप तिरंगे का हम किसी भी कीमत पर अपमान नहीं होने देंगे।
लेख- विजय कपूर के द्वारा