सड़क हादसे (सौ. सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अमेरिका के बाद भारत में ही सबसे बड़ा रोड नेटवर्क है।देश में वाहनों की तादाद भी काफी तेजी से बढ़ती चली जा रही है।इतने पर भी गहरी चिंता का विषय है कि सड़क दुर्घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है।सरकार की हालिया रिपोर्ट ‘रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया 2023’ में कहा गया कि विश्व में प्रतिवर्ष सर्वाधिक सड़क हादसे भारत में ही होते हैं।2023 में देश में हुई 4.80 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.8 लाख लोगों की प्राणहानि हुई।इसका अर्थ यह हुआ कि रोज लगभग 500 लोग सड़कों पर मौत के मुंह में चले गए।इनमें से दो तिहाई लोगों की आयु 18 से 45 वर्ष के बीच थी अर्थात वह क्रियाशील और अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमानेवाले लोग थे जो असमय जान गंवा बैठे।
भारत के कुल सड़क नेटवर्क में राष्ट्रीय महामार्ग केवल 2 प्रतिशत हैं परंतु 30 प्रतिशत हादसे राजमार्गों पर ही होते हैं।इसकी वजह वहां पर भारी ट्रैफिक होना, वाहनों की तेज रफ्तार तथा सुरक्षा उपायों की कमी है।सरकार ने महामार्ग तो बनवा दिए लेकिन रास्ते में रुकने के सुविधाजनक स्थलों की व्यवस्था नहीं की जा सकी।लगातार एक जैसी सड़क पर गाड़ी चलाने से चालक को सम्मोहन जैसी स्थिति भी हो जाती है।महाराष्ट्र के समृद्धि महामार्ग पर ऐसा हुआ है।लंबे महामार्ग पर पुराने टायरों वाली गाड़ी चलाना खतरनाक है।साथ ही टायर गर्म होकर बर्स्ट न हो जाएं इसलिए बीच में रुकना भी आवश्यक है।सरकार ने 2030 तक सुरक्षा बढ़ाकर सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने का लक्ष्य रखा है।इसके लिए परिवहन विभाग, स्थानीय अधिकारियों, पुलिस व स्वास्थ्य सेवा में समन्वय लाना होगा।शहरों में आबादी बढ़ने और निजी वाहनों की अधिक तादाद से सड़कें असुरक्षित हो गई हैं।
कई जगह सड़कों का डिजाइन सही नहीं है।शहरों में एक ही सड़क से बस, ट्रक, कार, बाइक, साइकिल, रिक्षा व ठेले जाते हैं।मवेशियों का जमघट भी सड़कों पर लगा रहता है।फुटपाथ पर अतिक्रमण होने से लोग पैदल सड़क पर चलने के लिए विवश हो जाते हैं।इससे दुर्घटना के आसार बढ़ते हैं।सड़क दुर्घटनाओं से अमूल्य मानव प्राणों को खतरा देखते हुए राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा प्राधिकरण की आवश्यकता है।ओवरलोड वाहनों तथा नौसिखिए ड्राइवरों से भी हादसे होते हैं।सिग्नल का उल्लंघन कर अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डालनेवालों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
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सड़क सुरक्षा के लिए इंजीनियरिंग, एन्फोर्समेंट, एजुकेशन व इमरजेंसी केयर की जरूरत है।शैक्षणिक संस्थाओं में ट्रैफिक संबंधी हिदायतें दी जानी चाहिए।सड़कों पर लापरवाही से ओवरस्पीड में गाड़ी चलानेवाले युवाओं को संयमित करना आवश्यक है।सड़कों के गड्ढे हादसे की बड़ी वजह हैं, जिन्हें तुरंत भरा जाना चाहिए।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा