बैंगलोर भगदड़ हादसा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: हमारे देश में धार्मिक मेले से लेकर खेल आयोजनों तक भीड़ उमड़ पड़ती है लेकिन भीड़-प्रबंधन नदारद है। भगदड़ मौतों की कितनी ही घटनाएं होती हैं लेकिन इससे कोई सबक सीखा नहीं जाता। इस जानलेवा भगदड़ की वजह से आनंदोत्सव कितने ही परिवारों के लिए शोक की घड़ी बन जाता है। बेंगुलूरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आईपीएल ट्राफी के फाइनल मैच पर सारे देश के क्रीड़ा प्रेमियों की नजरें केंद्रित थीं। आरसीबी की टीम मुकाबले में होने की वजह से उत्साह चरम पर था। जनता से लेकर नेता तक सभी पर क्रिकेट का खुमार चढ़ा था।
बेंगुलूरू यातायात पुलिस ने शुरू में कहा था कि विजय जुलूस रद्द किया गया है लेकिन बाद में उसने कहा कि यदि फिर भी जुलूस निकाला गया तो उसके लिए पुलिस ने तैयारी रखी है। यदि सचमुच पुलिस सतर्कता बरतती तो स्टेडियम के भीतर क्षमता से ज्यादा भीड़ जमा नहीं होती। इसके लिए विभिन्न एजेंसियों को सक्रियता दिखानी चाहिए थी। स्टेडियम पहुंचने के लिए बेंगलुरू मेट्रो खचाखच भरी हुई थी। सोशल मीडिया पर लाइव इमेज और वीडियो आ रहे थे फिर भी सुरक्षा उपाय नहीं किए गए। सभी सरकारी विभाग विजयोत्सव की खुशियां मना रहे थे लेकिन जब यह हर्षोल्लास आंसुओं के सैलाब में डूब गया तो जिम्मेदारी लेने वाला कौन था? जीत की जश्न के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में उमड़ पड़ी भीड़ में भगदड़ से अनेक लोगों की मौत हुई तथा कई घायल हुए।
अव्यवस्था के लिए राज्य सरकार और प्रशासन की आलोचना होना स्वाभाविक है लेकिन वे लोग भी जिम्मेदार हैं जो अपनी व परिवार की सुरक्षा की चिंता किए बगैर भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं। जहां भगदड़ मची, गिरनेवाले को कुचलते हुए भीड़ दौड़ी चली जाती है। किसी खिलाड़ी या टीम का फैन होने का यह मतलब नहीं है कि उन्माद में आकर जान जोखिम में डाली जाए। पिछले वर्ष कुंभ मेले में भगदड़ मची। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कुंभ यात्री ऐसे ही हादसे का शिकार हुए।
हाथरस के दलित सम्मेलन में, तिरूपति बालाजी मंदिर में, हैदराबाद में फिल्म पुष्पा 2 के प्रचार कार्यक्रम में भी भगदड़ मौतें हुईं। मानव प्राणों की यह क्षति टाली जा सकती है यदि लोग भीड़ में जाना टालें। कभी-कभी अफवाह या धक्कामुक्की भी भगदड़ की वजह बन जाती है। इसके बाद दोषारोपण का सिलसिला शुरू हो जाता है। कुंभ मेले की भगदड़ के लिए यूपी की बीजेपी सरकार पर उंगलियां उठीं थी। अब बेंगलुरू की भगदड़ त्रासदी के लिए कांग्रेस की कर्नाटक सरकार को निशाने पर लिया जा रहा है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा