
देश-विदेश में मौजूद हर भारतवासी के लिए असीम हर्ष एवं गौरव का क्षण है कि भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. स्वतंत्रता एक बहुत बड़ी नियामत है जिसे अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हमें अनुशासन, राष्ट्रभक्ति,देश की सर्वतोमुखी प्रगति और उसकी सुरक्षा पर ध्यान देना होगा. असंख्य वीरों के बलिदान से मिली आजादी की कीमत हर किसी को पहचाननी होगी और भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता, भाईभतीजावाद जैसी बुराइयों को परे रखकर राष्ट्र को मजबूत व एकजुट बनाना होगा. ‘हर घर तिरंगा’ अभियान यह प्रेरणा देता है कि देश के हर धर्म के प्रति सहिष्णुता और सहअस्तित्व बना रहे. कट्टरता और नफरत को सदा के लिए दूर करना होगा. भारत की एकता-अखंडता बनाए रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक को स्वीकार करनी होगी.
असहमति को भी स्वीकारें
लोकतंत्र में सभी की राय लेना अहमियत रखता है. हमारी संविधान निर्मात्री सभा के विद्वान सदस्यों ने लगभग 2 वर्षों तक हर कानून और अनुच्छेद पर बहस की और असहमति के बावजूद सर्वानुमति पर पहुंचा गया. आज सरकार और विपक्ष के बीच जिस तरह का टकराव चल रहा है उसमें जनता से जुड़ी महंगाई, बेरोजगारी जैसी बुनियादी समस्याओं पर चर्चा पीछे छूट गई है. स्वस्थ बहस के बाद निष्कर्ष पर पहुंचना जरूरी है. सर्वविदित है कि नेहरू के विचार डा. राजेंद्रप्रसाद और सरदार पटेल से मेल नहीं खाते थे लेकिन फिर भी उन्होंने सहमति का रास्ता अपनाया था. दूसरे के दृष्टिकोण का आदर करना चाहिए.
राष्ट्रभक्ति किसी का एकाधिकार नहीं
भारत की आजादी में महात्मा गंधी के अहिंसक आंदोलन के अलावा शहीदेआजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों तथा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज की भी भूमिका थी. मार्ग अलग थे लेकिन मंजिल एक थी. देश के लिए सभी ने त्याग और बलिदान किया. लोकमान्य तिलक से लेकर वीर सावरकर तक की भूमिका को उचित सम्मान व स्वीकृति देनी ही होगी. देश के शीर्ष नेताओं ने परिवारवाद को आश्रय नहीं दिया. महात्मा गांधी ने अपने चारों बेटों में से किसी को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया. सरदार पटेल ने भी अपने पुत्र डाह्याभाई से कहा था कि वह कोई लाभ हासिल करने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल न करे.
किसान-मजदूरों के प्रति सहानुभूति
महात्मा गांधी ने चंपारण और खेडा से सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी. सरदार पटेल ने बारडोली के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था. डा. राजेंद्रप्रसाद और लालबहादुर शास्त्री ने भी किसानों के हित में काम किया था. यदि किसान और मजदूर पूरा मेहनताना पाएंगे और संतुष्ट रहेंगे तो देश तरक्की करेगा. इसके अलावा महिलाओं को भी न केवल राजनीति बल्कि हर क्षेत्र में अधिक अवसर दिए जाने की आवश्यकता है. देश में सामाजिक क्षमता लाना जरूरी है. इसके बिना आजादी के उद्देश्य पूरे नहीं होंगे.
अदभुत है हमारा लोकतंत्र
भारत के पड़ोसी देश अंतरिक विरोधाभास व समस्याओं से जूझ रहे है. उनकी आर्थिक स्थिति भी डावांडोल हैं. विविध भाषाओं और संस्कृतियों का हमारा देश आबादी के लिहाज से विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जो भारी चुनौतियों के बावजूद हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है. यदि ईमानदारी, कर्मठता और राष्ट्रीय चरित्र का विकास हो तो भारत दुनिया के देशों में अग्रणी होगा. आजादी के अमृत महोत्सव पर इसी आशा के साथ नवभारत सबको बधाई देता हैं.






