
टेस्ट सीरीज हारने से बोर्ड अधीर निशाने पर हैं मुख्य कोच गंभीर
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, बड़ी गंभीर बात है कि इन दिनों भारतीय क्रिकेट टीम के गौतम गंभीर के माथे पर आलोचना का खप्पर फोड़ा जा रहा है। टेस्ट सीरीज में अपनी क्रिकेट टीम द अफ्रीका के हाथों बुरी तरह हार गई। अपने बल्लेबाज बुरी तरह विफल रहे। गेंदबाजों को विकेट लेने में कामयाबी नहीं मिल पाई लेकिन इसके लिए गंभीर को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।’ हमने कहा, ‘क्रिकेट गेम ऑफ चान्स होता है, जिसमें हार-जीत लगी रहती है। चैम्पियन ट्रॉफी और एशिया कप में जीत दिलाने वाले गंभीर ने गंभीरतापूर्वक कोचिंग दी होगी, लेकिन खिलाड़ी ढंग से नहीं खेले तो वह क्या करेंगे! कोच सिखा सकता है, खुद खेलने नहीं जा सकता। पुराने कप्तान व कमेंटेटर सुनील गावस्कर ने भी गौतम गंभीर का बचाव किया है।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यह बात काफी सीरियस है कि हमें अपने घरेलू मैदान में द अफ्रीका ने टेस्ट सीरीज में 2-0 से पछाड़ दिया। बीसीसीआई इस बात को लेकर मुख्य कोच गौतम गंभीर से नाखुश हैं। राहुल द्रविड़ या रवि शास्त्री के कोच रहते समय घरेलू मैदान से भारत नहीं हारता था।’ हमने कहा, ‘कभी-कभी भाग्य साथ नहीं देता या किस्मत दगा दे जाती है। खिलाड़ी गैरजिम्मेदारी से खेले। बल्लेबाजों ने गलत शॉट लगाकर विकेट खोया। स्पिनर विकेट नहीं ले पाए तो इसके लिए गंभीर को जिम्मेदार क्यों माना जा रहा है?
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, 2026 में टी-20 वर्ल्डकप में गौतम गंभीर को टीम का प्रदर्शन बढ़िया रखना होगा। इस पर उनका भविष्य निर्भर रहेगा। वहीं उनका मेक या ब्रेक का फैसला होगा। हमारे देश में एक से एक बढ़कर एक कोच हुए हैं। भीष्म पितामह ने द्रोणाचार्य की कोचिंग क्लास में कौरव-पांडवों को भेजा तो उन्होंने इतनी बढ़िया ट्रेनिंग ली कि आपस में महाभारत कर डाला। द्रोणाचार्य ने अर्जुन को नंबर वन धनुर्धर बनाने के लिए एकलव्य का अंगूठा कटवा डाला था। अपनी टीम की कोचिंग के साथ प्रतिस्पर्धी को हतोत्साहित करना भी आना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया के कोच अपने खिलाड़यों को खेलने के साथ स्लेजिंग करने के लिए भी कहते हैं। टिप्पणी और गालीगलौज करने से प्रतिपक्षी खिलाड़ी उत्तेजित और परेशान होकर विकेट खो बैठता है। गौतम गंभीर भी ऐसी कोई ट्रिक आजमाएं।’ हमने कहा, गंभीर नाम होने से कोई गंभीर नहीं हो जाता और पंकज उदास नाम होने से भी कोई उदास नहीं हो जाता।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






