आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज, पश्चिमी देशों का यह प्रचार अत्यंत दुर्भावनापूर्ण है कि गाय से पर्यावरण को हानि पहुंचती है. उद्योगों की चिमनियों के जहरीले धुएं, पेट्रोल-डीजल वाहनों के उत्सर्जन से होनेवाले प्रदूषण को भूलकर वहां के विशेषज्ञ गाय की सांस से निकलनेवाली मिथेन गैस को पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बता रहे हैं.” हमने कहा, “गाय की महिमा को विदेशी क्या जानें! उनके लिए वह एक मवेशी है जबकि करोड़ों आस्थावान हिंदुओं के लिए वह गौमाता है। जब दैत्यों के अत्याचार से पृथ्वी आतंकित हो गई थी तो गाय के रूप में विष्णु भगवान के पास याचना करने पहुंची कि अवतार लेकर दुष्टों का दमन करो. क्षीरसागर का मंथन करने से जो 14 रत्न निकले थे उनमें कामधेनु गाय भी थी. जमदाग्नि ने राजा सहस्त्रार्जुन और उनकी सेना का भव्य स्वागत सत्कार कर स्वर्णपात्रों में भोजन कराया था।
यह चमत्कार कामधेनु की कृपा से हुआ था. कामधेनु को हथियाने के लिए राजा ने जमदग्नि की हत्या कर दी थी. जब जमदग्नि के पुत्र परशुराम बाहर से लौटे तो उन्होंने राजा सहस्त्रार्जुन से इसका बदला लिया. कामधेनु की बेटी नंदिनी थी. इक्ष्वाकु वंश के राजा और भगवान राम के पूर्वज दिलीप ने नंदिनी की बहुत सेवा की थी. जब सिंह नंदिनी को मारना चाहता था तो दिलीप ने कहा कि मुझे खा लो, नंदिनी को छोड़ दो. वास्तव में यह माया रचकर नंदिनी ने दिलीप की परीक्षा ली थी।
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भगवान राम ने सोने से मढ़े हुए सींग वाली हजारों गाय दान में दी थीं. कृष्ण भगवान गोसेवा की वजह से गोपाल कहलाए. नंदबाबा के पास लाखों गौएं थीं. इनमें से किसी ने भी मिथेन गैस की शिकायत नहीं की. ज्योतिष शास्त्र कहता है कि इंसान के माथे से गाय का माथा बहुत बड़ा होता है इसलिए गाय पालनेवाला अत्यंत भाग्यशाली होता है. आस्थावान लोग मृत्यु के पहले गोदान करते हैं. यह मान्यता है कि गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी नदी पार की जाती है. जिस भूमि पर गाय का गोबर और गौमूत्र पड़ता है वह उपजाऊ हो जाती है। आर्गेनिक फार्मिंग के लिए गोबर की खाद का विशेष महत्व है.” पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक प्रदूषण फैलानेवाले विदेशियों का दोहरा चरित्र यही दिखाई देता है कि ब्राजील में – आंध्रप्रदेश की ओंगोले ब्रीड की एक गाय 41 करोड़ रुपए में नीलाम हुई है. भारतीयों के लिए गीता, गंगा और गोमाता अत्यंत पूजनीय हैं।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा