
सारे मर्ज की एक ही दवा चलने लगी चुनाव की हवा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव का लंबे समय बाद मुहूर्त निकला और अब महापालिका चुनाव होने जा रहे हैं इस चुनाव में किस पार्टी या गठबंधन की नाव किनारे लगेगी।कौन डूबेगा और किसका बेड़ा पार होगा? हमें निशाना लगाकर बताइए कि चुनाव में कैसी हवा चल रही है।हवा के दबाव के बारे में कुछ बताइए.’ हमने कहा, ‘हवा कभी दिखाई नहीं देती।जो चीज दिखाई न दे, उसके बारे में कैसे बताएं! हवा सिर्फ महसूस की जाती है।हवा न हो तो वायुमंडल ही न हो।देहात के लोग भी जानते हैं कि नीम के झाड़ की हवा फायदेमंद होती है जबकि इमली के झाड़ की हवा लगने से आदमी बीमार पड़ जाता है।जिन लोगों में स्वदेशी की भावना होती है, वे कहते हैं- देश की मिट्टी देश की हवा, देश का पानी देश की दवा!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, हम आपसे चुनावी हवा के बारे में पूछ रहे हैं चुनाव की बयार में कौन किसका यार है और किसे जनता से सच्चा प्यार है? यह हवा किसके पक्ष में बह रही है?’ हमने कहा, ‘किसी वैज्ञानिक से पूछिए।हवा हमेशा मिश्रित रहती है।उसमें हर प्रकार की गैस ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड, हीलियम, क्लोरीन, मिथेन और अमोनिया पाई जाती है।आप जो पानी पीते हैं वह भी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिलने से बना है।मनुष्य सहित सभी जीवधारी हवा में से ऑक्सीजन ले लेते हैं जबकि पेड़-पौधों को कार्बन डाई ऑक्साइड चाहिए.’
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पड़ोसी ने नाराज होकर कहा, ‘निशानेबाज, आपको चुनावी हवा के संबंध में बताना है या नहीं?’ हमने कहा, ‘चुनावी हवा नेताओं के लिए प्राण वायु का काम करती है बशर्ते वह उनके पक्ष में चले।इस हवा में लुभावने वादों की गुलाबी सुगंध समाई रहती है।इसमें सम्मोहन के इत्र की खुशबू होती है।जिस पार्टी की चुनावी हवा में घनत्व ज्यादा होता है वह वोटों की बारिश करा देती है।चुनावी हवा चाहे जिस पार्टी की हो, उसमें हवा-हवाई आश्वासन शामिल होते हैं।वह जनमानस को छूते हुए ईवीएम में समा जाती है।आगे चलकर नतीजे ही बताएंगे कि हवा किसके पक्ष में थी.’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






