महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से धनंजय मुंडे को किया बाहर (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अंतत: महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से धनंजय मुंडे को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. विधानमंडल सत्र जारी रहते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह घोषणा कर महत्वपूर्ण संदेश दिया कि मुंडे ने इस्तीफा नहीं दिया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बीड़ जिले में सरपंच की अमानुषिक हत्या हुई उसे देखते हुए और वाल्मीक कराड का नाम सामने आने पर यह कदम पहले ही उठाया जाना चाहिए था. यदि कोई नेता सोचे कि सत्ता का कवच पहनकर वह चाहे जैसी मनमानी कर सकता है तो उसकी यह गलतफहमी तुरंत दूर की जानी चाहिए।
महाराष्ट्र के अनेक शहरों व गांवों में राजनीतिक हफ्ता वसूली चल रही है. इससे राज्य को छुटकारा दिलाने की जरूरत है. बीड़ जिले के मस्साजोग के सरपंच संतोष देशमुख की तड़पा-तड़पाकर क्रूर हत्या इसी हफ्ता वसूली के विरोध की वजह से हुई. आर्थिक व औद्योगिक विकास का दावा करनेवाली सरकार को इस समस्या का इलाज करना ही होगा. गुंडे आतंकित कर हफ्ता वसूली करते हैं और ग्रामपंचायत सदस्य से लेकर विधायक, सांसद तक उनको आश्रय देते हैं. मुख्यमंत्री ने ऐसी ही अवैध कमाई को रोकने के उद्देश्य से ओएसडी व पीएस की नियुक्ति का अधिकार मंत्रियों को नहीं दिया।
बीड़ जिले और खासकर परली तहसील में पिछले कुछ दशकों से अवैध वसूली का धंधा जोरों से शुरू है. वहां कराड़ गिरोह ने अपनी जड़ें मजबूती से जमाईं. परली ताप बिजली घर की राख का व्यापार करने के अलावा प्रत्येक छोटे-मोटे उद्योग से जबरन वसूली की जाने लगी. इस जबरन वसूली को रोकने का प्रयत्न करनेवाले सरपंच संतोष देशमुख की हैवानियत से हत्या की गई. इससे सिर्फ बीड़ जिला व मराठवाडा ही नहीं बल्कि समूचा महाराष्ट्र क्षुब्ध हो गया. आखिर धनंजय मुंडे को इस्तीफा देना पड़ा. पुणे के निकट चाकण एमआईडीसी, हिंजवडी, तलेगांव, छत्रपति संभाजीनगर, नाशिक, तुर्भे, तलोजा के एमआईडीसी में भी ऐसी ही वसूली किए जाने की शिकायतें आती रही हैं. गृह मंत्रालय संभालनेवाले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से जनता की अपेक्षा है कि वह समाजकंटकों के खिलाफ कड़े कदम उठाएं।
मस्साजोग के सरपंच संतोष देशमुख की जिस राक्षसी क्रूरता से हत्या की गई उसके वीडियो व चित्र सामने आए हैं जो विचलित करने वाले है. यह प्रकरण अत्यंत संवेदनशील होने और मामला न्यायप्रविष्ट होने पर भी ये चित्र कैसे बाहर आए? जब इनकी वजह से समाज के 2 घटकों में संघर्ष होने की आशंका दिखाई देने लगी तो मुंडे की मंत्रिमंडल से हटाया गया अन्यथा मुंडे के इस्तीफा लेने में इतना विलंब होने अन्य कोई कारण दिखाई नहीं देता।
मुंडे का त्यागपत्र क्यों लिया गया, इसे लेकर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि मुंडे ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया जबकि शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार ने कहा कि यह आम जनता में भड़के गुस्से और देशमुख परिवार के संघर्ष का नतीजा है. जनता की आक्रामक मनस्थिति को भांपते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने बैठक बुलाकर मुंडे को तत्काल इस्तीफा देने को कहा. मुंडे की वजह से सरकार की छवि बिगड़ रही थी. यदि पहले ही मुख्यमंत्री ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए मुंडे को बाहर कर दिया होता तो सारे महाराष्ट्र में उनके कदम का स्वागत किया जाता. सरपंच देशमुख की हत्या के बाद वाल्मीक काफी दिनों तक फरार रहा. उसकी गिरफ्तारी टालने के लिए आवादा नामक निजी विद्युत कंपनी और पुलिस पर किसका दबाव था? सभी जानते हैं कि वाल्मीक कराड के पीछे किसका हाथ था. पुलिस ने वाल्मीक को हत्या का मास्टर माइंड मानकर जब अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया तभी से मुंडे को हटाए जाने के संकेत मिल गए थे।
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धनंजय मुंडे के लिए अजीत पवार ढाल बने हुए थे. संभवत: बीजेपी भी यह देख रही थी कि मुंडे की वजह से अजीत पवार पर आक्षेप आ रहे है फिर भी वह मुंडे को बचाने के लिए प्रयत्नशील थे. 3 महीने में यह प्रकरण उबल रहा था. बीजेपी के विधायक सुरेश धस मुंडे के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए थे. समाज सेविका अंजलि दमानिया भी मौका नहीं छोड़ रही थीं. अब विपक्ष का रवैया अजीत पवार के प्रति अधिक आक्रामक रह सकता है।