विकिरण फैलने का खतरा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: हिरोशिमा व नागासाकी में 5 व 6 अगस्त 1945 को गिराए गए एटम बमों से हुए महाविनाश को दुनिया भूली नहीं है जिसमें लाखों लोग मारे गए थे तथा जो बच गए थे वह चलती-फिरती लाशों के समान थे।तबसे लगभग 80 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन एटमी खतरा फिर भी मंडरा रहा है।अब तो परमाणु शस्त्र और भी घातक हो चुके हैं।शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच एटमी परीक्षणों की होड़ लगी थी।
अण्वास्त्रों पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से 1970 में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) हुई जिस पर ईरान ने हस्ताक्षर किए थे लेकिन इजराइल ने नहीं।विश्व में 9 परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं।किसी परमाणु केंद्र पर हमला होने या लीकेज होने का परिणाम लाखों की आबादी के लिए जानलेवा होता है।रूस के चेर्नोबिल में 1986 में परमाणु रिसाव हुआ था जिससे विकिरण या रेडियेशन फैला था।इसी तरह का हादसा थ्री माइल आइलैंड व सुनामी के दौरान जापान के फुकुशिमा प्लांट में भी हुआ था।इंसानियत का तकाजा है कि परमाणु शक्ति का सिर्फ शांतिपूर्ण कार्यों के लिए ही उपयोग किया जाए।परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की बिजली किफायती पड़ती है।
रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला कर यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा प्रकल्प झापोरीझिया पर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया।अच्छा हुआ कि वहां विकिरण नहीं फैला।गत सप्ताह इजराइल ने ईरान के 3 प्रमुख परमाणु संयंत्रों नातांज, इस्फहान और फोर्डो पर बमबारी की।इसके बाद ईरान के फ्रांस निर्मित अराक परमाणु केंद्र पर भी बम बरसाए लेकिन इस नए प्लांट में ईंधन नहीं भरा था।इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सबसे शक्तिशाली बंकर बस्टर बम से फोर्डो को तबाह कर देने की धमकी दी है।यह 30,000 पाउंड वजनी 20 फीट लंबा बम है जो जमीन के 200 फीट नीचे जाकर फटता है।इस बम को बी-2 बाम्बर विमान ही गिरा सकता है।
फोर्डों संयंत्र पहाड की तलहटी में काफी गहराई पर है।इसके पहले अमेरिका ने सीरिया के निर्माणाधीन किबार परमाणु संयंत्र को नष्ट किया था।अब ट्रंप, नेतन्याहू या पुतिन किसी को भी दुश्मन के परमाणु संयंत्र नष्ट करने में कोई हिचक नहीं है।उन्हें यह भी चिंता नहीं है कि इससे विकिरण फैलेगा जो वायुमंडल और जल को प्रदूषित कर देगा तथा जमीनों को बंजर कर देगा।रेडियेशन से लाखों लोग मारे जाएंगे।जो बचेंगे, वे असाध्य रोगों से पीड़ित हो जाएंगे।ईरान भी झुकने को तैयार नहीं है।उसने एनपीटी से हटने का इरादा जाहिर कर दिया है।युद्ध अत्यंत विनाशकारी होता जा रहा है और मानवता कराह रही है।यदि अमेरिका युद्ध में कूदा तो चीन और रूस भी पीछे नहीं रहेंगे।ऐसे में तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा