
रूस-यूक्रेन ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु संयंत्र के भविष्य पर समझौते के करीब (सोर्स- सोशल मीडिया)
Russia Ukraine N-Plant Agreement: यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के दौरान एक बड़ी खबर सामने आई है। ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के भविष्य को लेकर दोनों पक्ष समझौते के बेहद करीब पहुंच गए हैं। व्हाइट हाउस ने बताया कि बर्लिन में चल रही विस्तृत शांति वार्ताओं के तहत यह प्रगति हुई है। इस समझौते से ऊर्जा सुरक्षा बहाल होने की उम्मीद है और यह दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली का पहला कदम हो सकता है।
व्हाइट हाउस ने सोमवार को जानकारी दी कि रूस और यूक्रेन ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Zaporizhzhia Nuclear Power Plant) के भविष्य पर किसी समझौते के करीब पहुंचते दिख रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मुद्दा बर्लिन में चल रही व्यापक शांति वार्ता का हिस्सा है।
इन वार्ताओं का मुख्य उद्देश्य यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र के संचालन को सुरक्षित रूप से बहाल करना है। अधिकारी के मुताबिक, यूक्रेन, रूस और यूरोपीय देशों के वार्ताकारों ने इस संवेदनशील ऊर्जा ढांचे पर काफी समय चर्चा की, जो इसकी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक पुनर्निर्माण में इसकी अहम भूमिका को दिखाता है।
अधिकारी ने बताया कि संयंत्र के भविष्य के दो मुख्य पहलू हैं, संयंत्र का सुचारू संचालन और उससे उत्पन्न बिजली का बंटवारा। हालांकि कुछ मतभेद अभी भी बाकी हैं, बातचीत एक वैचारिक सहमति की ओर बढ़ रही है। अधिकारी ने स्पष्ट किया, “आखिरकार दोनों पक्ष चाहते हैं कि संयंत्र की मरम्मत हो, वह सुचारु रूप से काम करे और ऊर्जा उपलब्ध कराए।”
चर्चा के दौरान एक प्रस्ताव यह भी सामने आया है कि बिजली उत्पादन को समान रूप से बांटा जाए। वार्ताकार बिजली के “50-50 बंटवारे” पर लगभग सहमत बताए जा रहे हैं, जिसे एक सकारात्मक परिणाम माना जा रहा है।
युद्ध की शुरुआत से ही ज़ापोरिज़्ज़िया संयंत्र अंतर्राष्ट्रीय चिंता का केंद्र रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र में गोलाबारी का जोखिम बना रहता है। अधिकारी के अनुसार, इसकी स्थिर कार्यप्रणाली की बहाली दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक शुरुआती और महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
बर्लिन वार्ता में केवल संयंत्र के मुद्दे पर ही नहीं, बल्कि ऊर्जा ढांचे से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं को स्थिर करने और भविष्य की शांति प्रक्रिया में जोखिम कम करने के उपायों पर भी जोर दिया गया।
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चर्चा केवल परमाणु संयंत्र तक सीमित नहीं रही। कार्य समूहों ने विवादित क्षेत्रों में आर्थिक और बुनियादी ढांचे से जुड़े व्यापक मुद्दों पर भी विचार किया। अधिकारी ने बताया कि आर्थिक मुक्त क्षेत्र (Economic Free Zone) बनाने के विचार पर भी बातचीत हुई।
हालांकि, अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ये प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरण में हैं और ये बाध्यकारी नहीं हैं। बर्लिन में आमने-सामने की बैठकों से प्रगति तेज हुई है और यूरोपीय अधिकारियों की भागीदारी ने यूक्रेन की ऊर्जा बहाली पर यूरोपीय ऊर्जा सुरक्षा के प्रभावों को लेकर चिंताओं को सामने रखा है।






