कांग्रेस नेता जयराम का बयान (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वाजपेयी एक अलग पीएम थे और उस वक्त एक अलग भाजपा थी। हमें लगता है कि बदलते वक्त से जयराम तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं और अतीत के अंधेरे में अटक और भटक रहे हैं। उन्हें मोदी खटक रहे हैं।’ हमने कहा, ‘हर नेता की अपनी खूबी या विशेषता होती है। सबका अपना-अपना व्यक्तित्व होता है। वाजपेयी स्वप्नदर्शी कल्पनाशील कवि हृदय नेता थे जबकि मोदी प्रैक्टिकल नेता हैं।
अटल अपनी कविता में एलान करते थे- तन भी हिंदू, मन भी हिंदू! मोदी ने ऐसी घोषणा करने की बजाय राम मंदिर बनवाने, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटवाने, 3 तलाक के खिलाफ कानून बनवाने जैसे कदम उठाए। समान नागरी कानून की दिशा में कदम बढ़ने लगे हैं। उत्तराखंड की धामी सरकार ने इसे लागू भी कर दिया। अटल ने पाकिस्तान से लगी सीमा एलओसी पर सेना तैनात की थी लेकिन मोदी ने सेना को पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने का फ्री हैंड दिया। आतंक को चूर-चूर करने के लिए आपरेशन सिंदूर हुआ।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, अटलबिहारी वाजपेयी के भाषण सम्मोहित करने वाले हुआ करते थे। नानाजी देशमुख, दत्तोपंत ठेंगड़ी, गोविंदाचार्य जैसे संघ के नेताओं को वाजपेयी की कार्यशैली पसंद नहीं आती थी। अटल के रहते आडवाणी का पीएम बनने का अरमान पूरा नहीं हो पाया। एक बार खुद वाजपेयी ने कहा था कि लोग मेरे बारे में कहते हैं कि अटल अच्छा है लेकिन उसकी पार्टी गलत है तो बताइए इस अच्छे अटल का आप करेंगे क्या? अटल ने कहा था कि मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा जो जोड़तोड़ से हासिल की जाती है।’
ये भी पढ़ें- नवभारत विशेष की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
हमने कहा, ‘वाजपेयी मस्तमौला थे और संघ के अनुशासन के दायरे में बंधे हुए नहीं थे। आज मोदी इतने शक्तिशाली हो गए हैं कि उनको बीजेपी की जरूरत नहीं है बल्कि बीजेपी को मोदी की जरूरत है। उन्होंने पीएम के रूप में इंदिरा गांधी का रिकार्ड पार कर लिया। उनके सामने विपक्ष विभाजित है और बीजेपी की अधिकांश राज्यों में सरकार है। ऐसी हालत में बीजेपी 2029 में भी मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। मोदी के मन की बात सुनिए और उनके विजन को देखिए जो 2047 तक भारत को विश्व में नंबर वन बनाने का लक्ष्य रखते हैं।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यह मत भूलिए कि अटल-आडवाणी बीजेपी की नींव के पत्थर रहे हैं। विजन तो वाजपेयी का भी था तभी तो वह कहते थे- काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा