आईपीएल में बदलाव जानिए (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, जब हम किसी मिठाई की दुकान के सामने से गुजरते हैं तो मुंह से लार टपकने लगती है. इसी तरह नींबू का अचार या पानी पूरी देखते ही हमारे मुंह में पानी आ जाता है।’ हमने कहा, ‘सत्ता हासिल करने या मंत्री पद प्राप्त करने के लिए भी नेताओं की लार हमेशा टपकती है. जहां लालसा है वहां लार टपकना स्वाभाविक है। मुंह में लार लगातार बनती रहती है जो खाना पचाने में मददगार होती है। इसीलिए कहा जाता है कि कौर को जल्दी जल्दी निगलने की बजाय देर तक चबाते रहो, तो खूब लार मिलेगी और भोजन सुपाच्य हो जाएगा।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, हम यहां खाने-पीने की नहीं, क्रिकेट की बात कर रहे हैं. आईपीएल में शामिल 10 टीमों के कप्तानों के साथ बीसीसीआई की बैठक में गेंद चमकाने के लिए लार या थूक लगाने का प्रतिबंध हटा दिया गया, अब गेंदबाज गेंद से मोहब्बत रखते हुए उस पर जितना चाहें उतना थूक लगा सकेंगे। कोरोना महामारी की वजह से जून 2020 में आईसीसी ने गेंद पर लार लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. ऐसा करने पर पहले तो गेंदबाज को अम्पायर चेतावनी देता था और दोबारा ऐसी हरकत करने पर बल्लेबाजी करनेवाली टीम पर 5 रनों की पेनाल्टी लगाई जाती थी. यह प्रतिबंध गेंदबाज मोहम्मद शमी की वजह से हटा. शमी का तर्क था कि रिवर्स स्विंग के लिए गेंद पर लार लगाने की छूट मिलनी चाहिए. दक्षिण अफ्रीका के वर्नान फिलेंडर और न्यूजीलैंड के टिम साऊदी ने भी शमी का समर्थन किया था।
बीसीसीआई के बाद अब आईसीसी भी गेंद पर लार या सलाइवा लगाने की मनाही वापस ले सकता है. इस तरह थूक-पॉलिश की छूट मिल गई.’ हमने कहा, ‘एक पुराण कथा में भी लार टपकने का जिक्र है. उसमें दृष्टांत दिया गया है कि एक व्यक्ति वृक्ष की टहनी से बंधी रस्सी से कुएं में लटका है. कुएं के भीतर भयानक सर्प हैं. वृक्ष पर चढ़ा चूहा उस रस्सी को कुतर रहा है। मौत सामने है. इतने पर भी ऊपर मधुमक्खी के छत्ते से टपकते शहद की बूंदों को चाटने के लिए उस व्यक्ति की लार टपक रही है।
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यह संसार के सुखों के प्रति व्यक्ति की लालसा का चित्रण है.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, जब तख्तो-ताज पाने के लिए औरंगजेब की लार टपकी तो उसने अपने पिता शाहजहां को आगरा के किले में कैद कर खाने-पीने के लिए तरसा डाला और अपने 3 भाइयों दाराशिकोह, मुराद और शुजा का बेरहमी से कत्ल करवा डाला था।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा