
कजाकिस्तान में अल्माटी, चंदन और अबीर हमारी माटी (सौ.सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, जब राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों का दौर था तब देशभक्ति का गीत सुनाते हुए वीरेंद्र मिश्र ने गाया था- मेरे भारत की माटी चंदन और अबीर, सौ-सौ नमन करूं मैं भैया, सौ-सौ नमन करूं. महान जैन आचार्य विद्यासागर महाराज ने अमर कृति लिखी थी जिसका नाम था- मूक माटी! राजकपूर को भी माटी से बहुत लगाव था. उनकी फिल्म ‘कल, आज और कल’ का गीत था- इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल.’
हमने कहा, ‘आज आप माटी की चर्चा क्यों कर रहे हैं? निकाय चुनाव पर बात कीजिए जिसमें कुछ उम्मीदवार मिट्टी के शेर के समान खड़े हो जाएंगे. आजकल जमीन से जुड़े नेता या माटी के लाल कम ही नजर आते हैं. मौका देखकर चौका मारनेवाले महाविकास आघाड़ी के 46 नेता महायुति में शामिल हो गए. इनमें से 26 बीजेपी में, 13 अजीत पवार की राकांपा में और 7 शिंदे शिवसेना में चले गए. चुनाव के समय यही होता है. गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास!’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, राजनीति को छोड़कर माटी की महत्ता को समझिए. अपने देश की उपजाऊ माटी में तरह-तरह की फसलें पैदा होती हैं तो कजाकिस्तान में भी अल्माटी है. वहां नवभारत इंटरनेशनल बिजनेस एक्सीलेंस समिट का वैभवपूर्ण आयोजन हुआ।
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महाराष्ट्र की माटी की बैंकर, गायिका व समाजसेविका अमृता फडणवीस ने वहां अपने संबोधन में कहा कि वसुधैव कुटुंबकम मंत्र से ही दुनिया समृद्ध होगी. वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ कजाकिस्तान के कजाक लोगों को दुभाषिए ने समझाया होगा कि भारत सारी वसुधा या धरती को एक परिवार मानता है. हम अपने-पराये की भावना नहीं रखते. नवभारत परिवार की इस अमृतमयी पहल की अमृता ने सराहना की।’ हमने कहा, ‘आप महाराष्ट्र में रहते हैं तो जान लीजिए कि मराठी में माटी को माती कहते हैं।
शाडू माती से गणेश प्रतिमा बनाई जाती है. मुलतानी माती फेसपैक का काम करती है. विदर्भ की काली माती में कपास और ज्वार की पैदावार होती है. ब्लैक एंड व्हाइट दूरदर्शन पर कृषि संबंधी प्रोग्राम दिखाया जाता था जिसका नाम था- आमची माती, आमची माणसं! इसका अर्थ था- हमारी माटी, हमारे लोग।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






