किन 5 सामग्रियों के बिना कन्या पूजन है अधूरा (सौ.सोशल मीडिया)
Kanya Pujan 2025 Vidhi: मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का पावन पर्व हर साल पूरे देशभर में धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दौरान पूजा-पाठ, व्रत, हवन और कन्या पूजा करने से माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर सदा आशीर्वाद बनाए रखती है। इन पावन दिनों में विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का आयोजन करने की भी विशेष परंपरा है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन छोटी बच्चियों के रूप में माता दुर्गा स्वयं घर-घर पधारती हैं। इसलिए उन्हें आदर और सेवा देना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह परंपरा न सिर्फ आस्था का प्रतीक है बल्कि बच्चों के प्रति स्नेह और सम्मान दर्शाने का भी एक माध्यम है।
शास्त्रों में नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले कन्या पूजन की विशेष विधियां बताई गई हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि किन 5 सामग्रियों के बिना कन्या पूजन अधूर रह जाएगा और इसकी सही विधि क्या है।
हिन्दू धर्म ग्रथों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूप बताए गए हैं- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और माता सिद्धिदात्री। इन्हीं स्वरूपों की आराधना के साथ अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान बताया गया है।
कहा जाता है कि,अष्टमी और नवमी तिथि पर विषम संख्या में कन्याओं को आमंत्रित कर पूजन करने से देवी का विशेष आशीर्वाद मिलता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और आज भी कायम है।
कन्या पूजन में भोग अर्पित करना अनिवार्य माना गया है। आमतौर पर इसमें आठ चीजें रखी जाती हैं- फल, मिठाई, हलवा, चावल, खिचड़ी, पापड़, दही और नारियल।
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प्रसाद पहले देवी को अर्पित किया जाता है और फिर बच्चियों को प्रेमपूर्वक खिलाया जाता है। पूजन के दौरान कन्याओं के हाथ में कलावा बांधना, माथे पर तिलक लगाना और उन्हें चुनरी ओढ़ाना शुभ माना जाता है।
अंत में दक्षिणा देकर और आशीर्वाद लेकर आरती के साथ विधि पूरी होती है।