आखिर धनतेरस पर क्यों खरीदी जाती है झाड़ू (सौ.सोशल मीडिया)
Dhanteras broom importance 2025: शारदीय नवरात्रि के बाद दीपों का त्योहार दिवाली मनाई जाएगी। धनतेरस से भाई दूज तक चलने वाले दीपोत्सव की शुरुआत इस बार 18 अक्टूबर से होने जा रही है। दीवाली हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।
जैसा कि आप जानते हैं कि दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। इस दिन को धनत्रयोदशी भी कहते हैं और यह धन और आरोग्य के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
धनतेरस पर्व के दिन लोग सोने-चांदी, बर्तन और झाड़ू जैसी मूल्यवान वस्तुएं खरीदते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे घर में समृद्धि आती है।
वैसे में अब बात आती है कि धनतेरस के दिन झाड़ू क्यों खरीदे जाते हैं, तो जान लीजिए धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का क्या है धार्मिक महत्व।
ज्योतिष एवं वास्तु-शास्त्र की मानें तो, धनतेरस पर झाड़ू इसलिए खरीदी जाती है क्योंकि इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन झाड़ू खरीदने से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है, साथ ही दरिद्रता दूर होती है।
झाड़ू से घर की साफ-सफाई होती है और मां लक्ष्मी साफ-सुथरे घर में ही वास करती हैं, इसलिए धनतेरस पर नई झाड़ू घर लाना शुभ माना जाता है।
धनतेरस पर झाड़ू खरीदने के पीछे यह धार्मिक महत्व है कि झाड़ू को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इसे घर लाने से घर में सुख, समृद्धि और धन आता है। घर से दरिद्रता दूर होती है, सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर निवास करती है।
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार झाड़ू को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, जो धन और समृद्धि की देवी है।
झाड़ू घर से नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता को दूर करती है, जिससे सकारात्मकता का संचार बढ़ता है।
धनतेरस पर झाड़ू खरीदने से घर में धन-दौलत में बरकत होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
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साफ-सफाई से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मां लक्ष्मी आकर्षित होकर वहां निवास करती है।