बकरीद के दिन क्यों दी जाती है कुर्बानी (सौ.सोशल मीडिया)
बकरीद इस्लाम धर्म का प्रमुख त्योहार है जो आज 7 जून को देशभर में मनाया जा रहा है। इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जुल-हिज्जा के दसवें दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार पर देश-विदेश में अलग ही रौनक देखने को मिलती है।
खासकर इस्लाम धर्म मानने वाले देशों में इसकी रौनक देखने लायक होती है। इस दिन का मुस्लिम समुदाय के लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं और त्योहार को काफी पहले से इसकी तैयारियां शुरू कर देते है।
यह त्योहार त्याग, बलिदान और अल्लाह में अटूट विश्वास का प्रतीक है। इस अवसर पर, चलिए जानते हैं कि बकरीद के दिन क्यों दी जाती है कुर्बानी और क्या है इसकी ऐतिहासिक कहानी
इस्लामिक धर्म गुरु के अनुसार, बकरीद पर कुर्बानी देने की परंपरा पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से जुड़ी है। इस्लामी मान्यता के अनुसार, अल्लाह ने पैगंबर इब्राहीम की आस्था की परीक्षा लेने के लिए उनसे कहा कि वे अपने सबसे प्रिय बेटे इस्माईल को अल्लाह की राह में कुर्बान करें।
क्योंकि, उनके बेटे उनके लिए सबसे प्यारे थे। इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ यह आदेश मान लिया। जैसे ही वे अपने बेटे को कुर्बान करने को तैयार हुए, अल्लाह ने उनकी नीयत को देखकर इस्माईल की जगह एक मेमने (दुम्बा) को भेज दिया और इस कुर्बानी को स्वीकार कर लिया।
तभी से मुसलमान इस दिन एक जानवर (बकरी, भेड़, ऊंट या बैल) की कुर्बानी देते हैं ताकि वे इब्राहिम की नीयत और अल्लाह के प्रति समर्पण को याद कर सकें।
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मुस्लिम समुदाय में पूरे जोश से बकरीद मनाई जाती है। इस दिन कुर्बानी का बहुत महत्व है। लोग बकरीद से पहले कुर्बानी के लिए बकरे को घर लाते हैं और उसे अच्छी तरह प्यार से पालते हैं।
इसके अलावा, इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद जाकर नमाज पढ़ते हैं। लोग रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलकर उन्हें मुबारकबाद देते हैं और एक दूसरे की दावत करते हैं।