काशी विश्वनाथ मंदिर (सौ. डिजाइन फोटो)
Kashi Vishwanath Temple: उत्तरप्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित प्रसिद्ध श्री काशी विश्वनाथ धाम में बीते दिन अप्रत्याशित घटना घटित हुई। मंदिर के गर्भगृह के स्वर्ण शिखर पर एक सफेद रंग का उल्लू देखा गया। यह घटना जितनी अप्रत्याशित थी उतना ही लोगों ने इसे चमत्कार का रूप माना। उल्लू की इस उपस्थिति को भक्तों ने शुभ संकेत के रूप में लिया और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बताया। यह पहला मौका नहीं रहा कि, इस तरह की घटनाएं घटी हो पहले भी ऐसी अप्रत्याशित घटनाएं घटी है।
काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विश्व भूषण मिश्र ने इस घटना की जानकारी सोशल मीडिाय प्लेटफॉर्म फेसबुक पर शेयर की है। उन्होंने लिखा है कि “जैसा अभी व्हाट्सएप पर प्राप्त हुआ, शयन आरती के बाद बाबा के शिखर पर श्वेत उल्लू दिखाए दिए हैं, जो शुभ का प्रतीक माना जाता है। श्री काशी विश्वनाथो विजयतेतराम।” वहीं पीआरओ आनंद शुक्ला ने बताया कि यह फोटो उन्होंने ली थी। सोमवार की रात करीब दस बजे सफेद उल्लू कहीं से आकर स्वर्ण शिखर पर बैठ गया था। हालांकि सुबह वह अपने स्थान पर नहीं दिखा। साथ ही बताया गया कि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उल्लू का सफेद रंग लक्ष्मी माता के आशीर्वाद का प्रतीक है। इस प्रकार की घटनाएं भक्तों में आस्था और विश्वास को और भी मजबूत करती हैं।
इसे लेकर श्रद्धालु अधिवक्ता रविन्द्र तिवारी ने बताया कि, काशी विश्वनाथ धाम के शिखर पर सफेद उल्लू की उपस्थिति दर्ज रहती है। दरअसल उल्लू बाबा के सप्तऋषि आरती के साथ स्वर्ण शिखर के उपरी हिस्से पर आकर बैठता है और आरती के समापन के बाद उड़ जाता है। वहीं पर जानकार दावा करते है कि, उल्लू प्रतिदिन आरती के समय आता है और बाबा के स्वर्ण शिखर पर बैठता है। ऐसे में सनातन धर्म में उल्लू महालक्ष्मी का वाहन माना जाता है ऐसे में उसका मंदिर में आना बेहद शुभ माना जा रहा है। शिवभक्त भी मानते है कि उल्लू का रंग सफेद हो, तो उसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
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बताया जाता है कि, काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। यहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। बाबा विश्वनाथ की पूजा-अर्चना करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर में संध्याकाल में 07 बजे से लेकर शाम 08 बजकर 15 मिनट तक सप्तर्षि आरती की जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर में नियमित संध्याकाल 07 बजे सात ऋषि देवों के देव महादेव की आरती करने आते हैं। इस मान्यता के आधार पर रोजाना सप्तर्षि आरती की जाती है। वहीं पर आरती में सात अलग-अलग गोत्र के आचार्य एक साथ आरती करते हैं। इस दौरान सफेद उल्लू की उपस्थिति नजर आती है।