कब है स्कंद षष्ठी व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना अलग महत्व भी होता है ऐसे में स्कंद षष्ठी का व्रत बहुत ही शुभ एवं उत्तम माना जाता है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 1 जून दिन रविवार को ही रखा जाएगा। स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा भाव के साथ करते हैं, उन्हें भक्ति और ज्ञान का वरदान प्राप्त होता है।
ज्योतिषयों के अनुसार, यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है जिन्हें संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो। जिनके बच्चे हैं, वे उनकी लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए यह व्रत रखते हैं। आइए जानते है जून महीने में कब है स्कंद षष्ठी व्रत और इसकी महिमा।
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 31 मई दिन शनिवार को रात 8 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 1 जून दिन रविवार को रात 7 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत 1 जून दिन रविवार को ही रखा जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति या जिनकी संतान अक्सर बीमार रहती है, उनके लिए इस दिन विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय की पूजा करना शुभ होता है। मोर पंख अर्पित करना और मोर पंख को अपने घर में रखना भी शुभ माना जाता है।
यदि आप शत्रुओं से परेशान हैं या किसी मुकदमे में फंसे हैं, तो भगवान कार्तिकेय की पूजा से विजय प्राप्त होती है। उन्हें लाल फूल और लाल वस्त्र अर्पित करें।
स्कंद षष्ठी का व्रत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति के लिए भी लाभकारी माना जाता है।