जेष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत रखा जाता हैं। इस बार जेठ महीने का पहला प्रदोष व्रत 24 मई को रखा जाएगा। इस दिन शनिवार के होने की वजह से यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।
कहते हैं कि इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, अविवाहितों के विवाह के योग बनने के साथ मनपसंद जीवन साथी भी मिल सकता है, तो आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत कब है?
कब है जेष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 24 मई को शाम 7 बजकर 20 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मई को 3 बजकर 51 मिनट पर होगी।
इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 24 मई को रखा जाएगा। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार के होने की वजह से यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।
जेष्ठ प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त की शुरुआत शाम 7 बजकर 20 मिनट पर होगी। वहीं तिथि की समापन रात्रि 9 बजकर 19 मिनट पर होगा। इस दौरान भक्तों को सिर्फ 2 घंटे 1 मिनट का समय मिलेगा।
इस विधि से करें शिवलिंग की पूजा
प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवों के देव महादेव को समर्पित इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है और उन्हें शिव धाम की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार चंद्रमा को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन फिर से जीवन प्रदान किया। इसलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।