संकष्टी चतुर्थी व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
Vinayaka Chaturthi Vrat 2025: विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार चैत्र यानी अप्रैल महीने की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 1 अप्रैल यानी कल रखा जाएगा। हिंदू धर्म में इस तिथि विशेष का बड़ा महत्व है। इस शुभ असवर पर भगवान गणेश की उपासना की जाती है। साथ ही, जीवन के संकटों को दूर करने के लिए व्रत भी रखा जाता है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से जातक को गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि से व्रत पारण तक सबकुछ।
संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 1 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर हो जाएगी। वहीं इस शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन 2 अप्रैल को देर रात 2 बजकर 32 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म उदया तिथि देखी जाती है। ऐसे में 1 अप्रैल यानी कल विनायक चतुर्थी रहेगी, कल ही विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त
विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा। ये 5 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी। ये 3 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा। ये शाम 7 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। निशिता मुहूर्त रात 12 बजकर 1 मिनट से शुरू होगा। ये 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद उन्हें पुष्प, गंध और दीप अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों-गणेश चालीसा का पाठ करें। गणेश जी को प्रिय मोदक या तिल का लड्डूओं का भोग लगाएं। संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। इस दिन दान करना शुभ माना जाता है।
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विनायक चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का व्रत बहुत महत्वपूर्व माना जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन पूजन और व्रत करने से बप्पा प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास बना रहता है। ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है और सभी कार्योंं में सफलता मिलती है, साथ ही सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।