पितृपक्ष में करें तुलसी से जुड़े ये विशेष उपाय (सौ.सोशल मीडिया)
Pitru Paksha Remedies: पितरों के प्रति श्रद्धा का महापर्व पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो गई है। यह वह समय है, जब हम पितरों की कृपा एवं आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि करते हैं। जैसा कि आप जानते है कि सनातन परंपरा में श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष, 16 दिनों का ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें मौजूदा पीढ़ी अपने पूर्वजों के प्रति आभार जताती है और उन्हें सम्मान देती है, उन्हें याद करती है।
ज्योतिषियों के अनुसार, इस दौरान तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म के साथ कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं। खासतौर पर तुलसी से जुड़े उपाय पितृपक्ष में बेहद फलदायी माना गया है।
क्योंकि, तुलसी को विष्णुजी का प्रिय माना जाता है और पितरों का परम आश्रय भी भगवान विष्णु ही है। इसलिए तुलसी का प्रयोग करके किया गया तर्पण और पूजा पितरों को तुरंत तृप्त कर देती है। आइए जान लेते हैं तुलसी से जुड़े दो खास उपायों के बारे में।
पितृपक्ष के किसी भी दिन सुबह स्नान के बाद तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं। उसके बाद तुलसी का जल से अभिषेक करें और पत्तियां अर्पित करें। अब तुलसी के पास खड़े होकर अपने पितरों का स्मरण करें और उनसे आशीर्वाद मांगे।
साथ ही तुलसी के पत्तों को दूध या जल में डालकर पितरों को अर्पण करें। ऐसी मान्यता है कि इस उपाय से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि पितृपक्ष में तुलसी दल और गंगाजल से तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा तुरंत संतुष्ट होती है। जब पितर प्रसन्न होते हैं तो वे अपने वंशजों को दीर्घायु, संतान सुख और धन-धान्य से आशीष देते हैं। इससे घर में शांति, सकारात्मकता और समृद्धि का वास होता है।
पितृपक्ष में तुलसी के क्यारे में तर्पण करना सबसे प्रभावी माना गया है। इसके लिए प्रातः स्नान कर तुलसी के क्यारे में खड़े हों। अब गंगाजल में तुलसी की पत्तियां डालें और उस जल से पितरों को तर्पण करें।
पितरों का स्मरण करते हुए प्रार्थना करें कि वे कुल-परिवार पर कृपा करें। तुलसी और गंगाजल के इस मेल से किया गया तर्पण पितरों को सीधा तृप्त करता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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इन तुलसी उपायों को करने के लिए बड़े अनुष्ठान की जरूरत नहीं होती है। यह बेहद सरल और फलदायी उपाय हैं, जिन्हें श्रद्धा और विश्वास से किया जाए तो पितृदोष दूर होता है और पूर्वज प्रसन्न होकर हर संकट से रक्षा करते हैं।