आखिर क्यों बनती है दान की टोकरी (सौ.सोशल मीडिया)
Sarva Pitru Amavasya 2025: सनातन धर्म में पितृपक्ष का बड़ा महत्व है। अगर बात पितृपक्ष की अंतिम दिन यानी सर्वपितृ अमावस्याकी करें तो यह पितृपक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है, जब हर परिवार अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और दान आदि करते है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्रद्धा से की गई अर्पण और दान से पितृ न केवल प्रसन्न होते हैं बल्कि परिवार को धन, सुख और समृद्धि का वरदान भी मिलता है।
सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस दिन दान की एक विशेष टोकरी बनाकर मंदिर, ब्राह्मण या जरूरतमंद को देने की एक विशेष परंपरा है, जिसे अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या पर क्यों बनती है दान की टोकरी और क्या इसका महत्व है।
सनातन धर्म में सर्वपितृ अमावस्या पर दान को अत्यंत फलदायी माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है- ‘दानं पितृणाम तुष्टिकरं भवेत्’। यानी, पितरों को तृप्त करने का सबसे श्रेष्ठ साधन दान है। इसीलिए घर में अलग से दान की टोकरी तैयार करने की परंपरा है। इसे मंदिर, ब्राह्मण या जरूरतमंद को अर्पित करने से पितृदेव प्रसन्न होकर वंश में सुख-शांति का आशीर्वाद देते हैं।
सुबह स्नान के बाद पितरों का स्मरण करें। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके श्राद्ध मंत्रों के साथ जल अर्पण करें और फिर दान की टोकरी किसी ब्राह्मण, गौशाला या जरूरतमंद को दें। ध्यान रहे, दान हमेशा प्रसन्न मन से करें, तभी उसका फल कई गुना बढ़ता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पर इस तरह दान करने से पितृ आत्माएं तृप्त होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।
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ज्योतिष बताते है कि, इस सर्वपितृ अमावस्या दान की टोकरी बनाकर पितरों को प्रसन्न करें। मान्यता है कि ऐसा करने से घर-परिवार में कभी अन्न-धन की कमी नहीं होती और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।