
Mahabharat (Source. AI)
Mahabharat Ke Sabhi Saap Jisne Badli Kahani: महाभारत केवल एक युद्ध गाथा नहीं, बल्कि शाप, वरदान, कर्म और परिणामों का विराट ग्रंथ है। इस महाकाव्य में दिए गए कई शाप ऐसे हैं, जिन्होंने न केवल पात्रों के जीवन को बल्कि पूरे वंश और युग की दिशा को बदल दिया। आइए जानते हैं महाभारत के कुछ सबसे चर्चित और प्रभावशाली शापों की कथा, जो आज भी लोगों को चकित करती है।
वसु द्यु द्वारा वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु चुराने पर ऋषि ने आठों वसुओं को मनुष्य जन्म का शाप दिया। अन्य वसु शीघ्र मुक्त हो गए, लेकिन द्यु को एक पूरा जीवन भोगना पड़ा। वही द्यु आगे चलकर भीष्म बने। गंगा के गर्भ से जन्म लेकर भीष्म ने अपने त्याग और प्रतिज्ञा से महाभारत की नींव रखी।
काशीराज की पुत्री अम्बा का अपमान और अस्वीकार उसके जीवन की सबसे बड़ी पीड़ा बना। उसने भीष्म को शाप दिया कि वह अगले जन्म में उसके वध का कारण बनेगी। वही अम्बा आगे चलकर शिखंडी बनी और युद्ध में भीष्म के पतन का कारण बनी।
मृग रूप में ऋषि को मारने पर पांडु को शाप मिला कि सहवास करते ही उनकी मृत्यु होगी। इसी कारण पांडवों का जन्म नियोग से हुआ। अंततः श्राप फलित हुआ और पांडु की मृत्यु हो गई, जिससे पांडवों का जीवन संघर्षों से भर गया।
कर्ण ने स्वयं को ब्राह्मण बताकर परशुराम से विद्या सीखी। सत्य उजागर होने पर परशुराम ने शाप दिया “जब तुम्हें इस विद्या की सबसे अधिक आवश्यकता होगी, तुम उसे भूल जाओगे।” युद्ध में यही शाप कर्ण के पतन का कारण बना।
उर्वशी के प्रणय निवेदन को अस्वीकार करने पर अर्जुन को एक वर्ष नपुंसक रहने का शाप मिला। बाद में इंद्र ने कहा “उर्वशी का शाप तुम्हें वरदान सिद्ध होगा।” अज्ञातवास में यही शाप अर्जुन के काम आया।
गांधारी ने शोक में श्रीकृष्ण को शाप दिया कि उनका वंश भी नष्ट होगा। बाद में ऋषियों के शाप और यादवों के आपसी संघर्ष से यदुवंश का विनाश हुआ और द्वारका समुद्र में समा गई।
ब्रह्मास्त्र प्रयोग से क्रोधित होकर श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को शाप दिया “तू 3,000 वर्षों तक रोग और पीड़ा के साथ भटकेगा।” यह शाप आज भी रहस्य और लोककथाओं का विषय है।
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दुर्योधन को महर्षि मैत्रेय का शाप मिला कि उसकी जंघा टूटेगी। द्रौपदी के शाप से घटोत्कच अल्पायु हुआ। राजा परीक्षित को तक्षक नाग के डसने का शाप मिला, जिससे भागवत पुराण की कथा का आरंभ हुआ।
महाभारत के ये शाप बताते हैं कि अहंकार, अधर्म और असंयम का अंत विनाश में होता है, जबकि धर्म, त्याग और संयम अंततः मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं।






