
पूजा की सामग्री (सौ.सोशल मीडिया)
Religious Worship Materials: सनातन धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व दिया जाता है खासतौर पर, घर का मंदिर आस्था, शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली हर वस्तु की अपनी पवित्रता होती है।
कुछ चीजें भगवान को अर्पित करने के बाद भी शुद्ध बनी रहती हैं, जबकि कुछ वस्तुएं एक बार इस्तेमाल के बाद दोबारा पूजा योग्य नहीं रहतीं है। ऐसे में आइए जानते है पूजा में इस्तेमाल की गई कौन-सी सामग्री को दोबारा प्रयोग करना वार्चित बताया गया है।
ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ का मानना है कि, पूजा में प्रयोग किए गए धातु के बर्तन जैसे तांबा, पीतल, कांसा और चांदी के पात्रों को शुद्ध जल से धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। दीपक, घंटी, शंख और पूजा की थाली भी शुद्ध करके पुनः उपयोग में लाई जा सकती है।
इसके अलावा, अक्षत यानी साबुत चावल अगर साफ हों और टूटे न हों तो कुछ इसे दोबारा प्रयोग किया जा सकता है। पूजा की मूर्ति या चित्र को भी नियमित रूप से साफ कर लंबे समय तक पूजा जा सकता है।
पूजा में चढ़ाए गए फूल, माला, तुलसी दल और बेलपत्र दोबारा इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। इन्हें पवित्र मानकर बहते जल में प्रवाहित करना या किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित करना उचित होता है।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान को चढ़ाई गई कुमकुम, चंदन, रोली और सिंदूर भी दोबारा पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसी तरह जली हुई बाती, अगरबत्ती और धूप की राख को दोबारा इस्तेमाल करना वर्जित माना गया है।
प्रसाद को कभी भी अपवित्र नहीं माना जाता। इसे सम्मानपूर्वक ग्रहण करना चाहिए, लेकिन बचा हुआ प्रसाद अगली पूजा में अर्पित नहीं किया जाता। उसे श्रद्धा के साथ ग्रहण कर लेना या जरूरतमंदों में बांटना श्रेष्ठ माना गया है।
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पूजा सामग्री का दोबारा उपयोग करते समय उसकी स्वच्छता और शुद्धता सबसे अहम है। टूटे, गंदे या अपवित्र हो चुके सामान का प्रयोग पूजा में नहीं करना चाहिए।
इन नियमों का पालन करने से पूजा की पवित्रता बनी रहती है और धार्मिक आस्था भी मजबूत होती है।






