पितृ पक्ष (सौ.सोशल मीडिया)
Pitru Paksha: पितरों के प्रति श्रद्धा का महापर्व पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो गई है। यह वह समय है, जब हम पितरों की कृपा एवं आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि करते हैं। इस दौरान लोग गाय, कुत्ता और कौवे को भोजन भी कराते हैं। वैसे तो गाय को रोजाना रोटी आदि खिलाया जाता है।
लेकिन पितृ पक्ष के दौरान तीन जीवों को खासतौर पर गाय, कुत्ता और कौवे को भोजन जरूर कराया जाता है। ऐसे में आज हम आपको इन 3 जीवों को भोजन खिलाने के लाभ बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ।
ज्योतिषियों का कहना है कि गाय को देवी देवताओं का स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है भी है कि गौ माता में सभी देवी देवताओं का वास होता है। इसलिए पितृपक्ष में देवताओं को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए उन्हें सबसे पहले भोजन कराया जाता है।
अगर बात कौवे की करें, तो कौवे को संचार वाहक और यम का प्रतीक मानते हैं। यह हमारे संदेश को पितरों तक पहुंचाते हैं। जिससे हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए पितृपक्ष के 15 दिनों में कौवे को भोजन जरुर कराया जाता है। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। मान्यता यह भी है कि यदि भोजन देते समय कौवा मुंह मोड़ ले, तो यह संकेत देता है कि आपके पितर आपसे नाराज हैं।
वहीं, कुत्ते की बात करें तो कुत्ते को यम का प्रतीक माना जाता है। मनुष्य के लिए सबसे वफादार कुत्ता है। मान्यताओं के अनुसार कुत्ता भैरव जी की सवारी के कारण यम पशु है, वह भी काल का प्रतीक है।
जरा सी आहट होने और अनहोनी की आशंका होते ही कुत्ता सोते हुए भी जाग जाता है। कुत्ते को भोजनांश देने का अर्थ यह है कि हमारे पितृ जहां भी, जिस योनि में हों, सुरक्षित रहें। भारतीय ज्योतिष में जन्मपत्री में केतु की पीड़ होने पर कुत्ते की देखभाल, सेवा एवं भोजन देने से अनिष्ट केतु का प्रकोप समाप्त होता है, जिससे जीवन में अचानक चमत्कारिक परिवर्तन आते हैं।
मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध पक्ष में कौए, कुत्ते और गाय को भोजन का अंश देने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है तथा पितरों के आशीर्वाद से रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं।
ये भी पढ़े-अमीर बनना हो तो आचार्य चाणक्य की इन 7 नीतियों पर चलें, सफलता के साथ धन भी बरसेगा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्याम और सबल नाम के दो स्वांग (कुत्ते) यमराज के मार्ग का अनुसरण करते हैं, जो पितरों को यमलोक पहुंचाने का मार्ग भी दिखाते हैं। इसलिए श्राद्ध और तर्पण के बाद कुत्ते को भोजन कराया जाता है।