राधा रानी की अष्ट सखियां (सौ. सोशल मीडिया)
Radha rani Asht sakhi- आज देशभर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन खास दिन में से एक होता है जहां पर आज के दिन भी भगवान विष्णु ने अपना श्रीकृष्ण अवतार रचाया था उन्होंने माता देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। कृष्णजी का जन्म मथुरा में हुआ था लेकिन वे वृंदावन में माता यशोदा की गोद में पले-बढ़े। राधाकृष्ण का नाम हमेशा एक साथ लिया जाता है यानि दोनों का साथ एक-दूसरे के साथ पूरा है।
भगवान श्रीकृष्ण का नाता राधारानी के साथ रहा है तो वहीं पर अष्ट सखियों का भी उल्लेख मिलता है। राधारानी की आठ सखियां थीं, जिन्हे अष्टसखी कहा जाता है। अष्टसखियों का नाता राधारानी के साथ होने के अलावा भगवान श्रीकृष्ण के साथ भी था। चलिए जानते हैं इसके बारे में…
यहां पर अष्ट सखियों के बारे में यह पद बहुत प्रसिद्ध है- अष्टसखी करतीं सदा सेवा परम अनन्य, श्रीराधामाधव युगल की कर निज जीवन धन्य। जिनके चरण सरोज में बारम्बार प्रणाम, करुणा कर दें युगल पद-रज-रति अभिराम।। इस पद के जरिए जान सकते है कि कैसे अष्टसखियों का स्थान रहा है। राधारानी की सबसे करीबी सखियों में ललिता देवी, विशाखा, चित्रा, इन्दुलेखा, चम्पकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या और सुदेवी थीं। इन सभी सखियों के पास विशेष गुण थे तो वहीं पर राधा रानी का पूरा ध्यान रखती थीं। ये अष्ट सखियां कई कलाओं में निणुण थीं, इन्हें संगीत और प्रकृति के रहस्यों को गहरा ज्ञान था।
राधारानी की इन अष्ट सखियों का उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार है…
1- श्रीललिता देवी-
राधारानी की पहली सखी का नाम श्रीललिता देवी था। यह राधा जी की सबसे प्रिय सखी है। इनके जन्मदिन पर ललिता सप्तमी मनाई जाती है। कहते है कि, ललिता देवी के बारे में कहा जाता है कि वे मोरपंख के रंग की साड़ी धारण करती थीं।ललिता को सुंगध की विशेष समझ और ज्ञान था, ये राधा को ताम्बूल यानि पान का बीड़ा देती थीं।
2-चित्रा
राधा रानी की दूसरी सखी का नाम चित्रा था, उनका वर्णन करते चलें तो, चित्रा के अंगों की चमक केसर के भांति थी और वे काचवर्ण की सुन्दर साड़ी धारण करती थीं।ये राधा जी का श्रृंगार करती थीं। इतना ही नहीं कहा जाता है कि वे इशारों में राधा जी की बातों को समझ लेती थीं।
3-विशाखा
राधा की तीसरी सखी का नाम विशाखा था वे दिखने में बहुत सुंदर और इनकी कान्ति सौदामिनी की तरह थी। कहा जाता है कि राधा को कर्पूर-चन्दन से निर्मित वस्तुएं प्रस्तुत करती थीं। साथ ही वे सुंदर वस्त्र बनाने की विधा में निपुण थी।
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4- इन्दुलेखा
राधा रानी की चौथी सखी का नाम इंदुलेखा था जो लाल रंग की साड़ी पहनती थीं। कहा जाता है कि, यह सखी ये सदैव प्रसन्न रहती थीं और मुख एक मुस्कान बनी ही रहती थी। बताया जाता है, ये नृत्य और गायन विद्या में निपुण थीं।
5- तुंगविद्या
राधा रानी की पांचवी सखी का नाम तुंगविद्या है। बताया जाता है कि, तुंगविद्या पीले रंग की साड़ी पहनती थीं और इनकी बुद्धि बहुत तीक्ष्ण थी. ये अपनी बुद्धिमत्ता के लिए विख्यात थीं। बताया जाता है कि,इन्हे ललित कलाओं की विशेष समझ थी और संगीत में भी निणुण थीं।
6-चंपकलता
राधा रानी की छठवीं सखी क नाम चंपकलता रहा है। इसकी सुंदरता चंपा के पुष्प के समान थी तो वहीं पर इन्हें चंपकलता कहा जाता है।चंपकलता नीले रंग की साड़ी पहनती थीं। बताया जाता है कि, ये भी राधा जी का श्रृंगार किया करती थीं।
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7- रंगदेवी
राधा रानी की सातवीं सखी का नाम रंगदेवी है जो जवाकुसुम रंग की साड़ी पहनती थीं। बताया जाता है कि, ये राधा जी के चरणों में जावक यानि महावर लगाने का कार्य करती थीं। कहते हैं कि, ये सभी व्रतों के विधान का ज्ञान रखती थीं।
8- सुदेवी
राधा रानी की आठवीं सखी का नाम सुदेवी था जो दिखने में अति सुंदर थीं। कहते हैं कि, ये मूंगे के रंग की साड़ी पहनती थीं और राधा को जल पिलाने का कार्य करती थीं। वहीं पर इन्हें जल को निर्मल और शुद्ध करने का ज्ञान था।