पंढरपुर मंदिर (सौजन्य-IANS)
Papankusha Ekadashi: हिंदू धर्म में हर एक एकादशी का महत्व है, माना जाता है कि एकादशी करने वाले भक्तों को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। आज आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पापांकुशा एकादशी है। इस मौके पर महाराष्ट्र के पंढरपुर में मौजूद विठोबा मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तगण पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु हाथ में मंजीरा लेकर भगवान विट्ठल की आराधना कर रहे हैं।
“हरि भक्त परायण,” राधा गिरधारी दास महाराज ने आईएएनएस से बातचीत में एकादशी का महत्व बताते हुए कहा, “पंढरपुर का महत्व ऐसा है कि जब सृष्टि नहीं थी, तब भी पंढरपुर धाम था और इस धाम में पूरे 25 एकादशी का महत्व है, जो इस धाम को पवित्र बनाता है। आज पापांकुशा एकादशी है और कलयुग में सबसे ज्यादा पाप होता है…पापों पर अंकुश लगाना जरूरी है।
इसलिए यहां भगवान विट्ठल भक्तों को इंतजार करते हैं। जब भक्तों के पाप खत्म हो जाते हैं तो भगवान विट्ठल उन्हें अपनी शरण में बुला लेते हैं। पापांकुशा एकादशी पर मंदिर के बाहर दर्शन के लिए भक्तों की पांच किलोमीटर लंबी कतार लगी है। श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पांच से छह घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने मौके पर भीड़ को संभालने के लिए सुरक्षा तैनात कर दी है।
बता दें कि पंढरपुर में मौजूद विठोबा मंदिर भगवान विष्णु और मां रुक्मणी को समर्पित है। यहां भगवान विष्णु विट्ठल अवतार में कमर पर हाथ रखकर एक ईंट पर खड़े हैं। ये मंदिर भगवान विष्णु के परम भक्त पुंडलिक की भक्ति को दर्शाता है।
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कहा जाता है कि परम भक्त पुंडलिक ने अपने माता-पिता की असीम सेवा की थी, जिसके भाव से प्रसन्न होकर खुद भगवान विष्णु विट्ठल अवतार में प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि भक्त पुंडलिक ने खुद भगवान को इंतजार करने के लिए कहा था, क्योंकि वह अपने माता-पिता की सेवा में व्यस्त थे। ऐसे में भगवान ने खुद अपने भक्त का इंतजार किया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)