कौन से दिन और तिथियां हैं तुलसी पूजन है वर्जित (सौ.सोशल मीडिया)
Tulsi Puja Niyam: हिन्दू धर्म में पेड़-पौधों की पूजा-अर्चना करना प्रकृति और जीवन के प्रति सम्मान, आध्यात्मिक शक्ति और ग्रह दोषों को दूर करने का एक माध्यम है। तुलसी, पीपल, बरगद जैसे पवित्र वृक्षों को दैवीय रूप माना जाता है, जिनमें देवताओं का वास होता है। इनकी पूजा से सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, तथा यह पर्यावरण संरक्षण की भावना को भी बढ़ावा देता है।
इसी तरह हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा करने का विधान है। तुलसी माता की पूजा आराधना करने से घर में पवित्रता बनी रहती है और सुख समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है।
हालांकि, शास्त्रों के अनुसार, तुलसी पूजा के कुछ नियमों का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है जैसे तुलसी में जल किसी दिन न डालें, किस दिन तुलसी पूजा न करें या किस दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें। इन नियमों के बारे आइए जान लें ताकि कोई नकारात्मक परिणाम प्राप्त न हो और तरक्की के रास्ते खुल सकें।
हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, एकादशी तिथि पर तुलसी में जल अर्पित और पूजा नहीं करनी चाहिए। मान्यता के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। मां लक्ष्मी एकादशी का व्रत रखती हैं।
यही वजह है कि एकादशी पर तुलसी पूजा और जल नहीं देना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का व्रत खंडित होता है। मां लक्ष्मी के नाराज होने से जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न सकती हैं।
वैसे तो, तुलसी के पौधे की पूजा रोजाना करने का विधान है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं की मानें तो, रविवार और मंगलवार के दिन तुलसी के पौधे को छूना नहीं चाहिए और न ही जल अर्पित करना चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, रविवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के लिए तुलसी माता निर्जला व्रत रखती हैं। इसलिए रविवार के दिन तुलसी में जल देने से उनका व्रत खंडित हो जाता है।
इसके अलावा,शास्त्रों के अनुसार, सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान न तो तुलसी को छूना चाहिए और न तो तुलसी के पौधे को जल अर्पित करना चाहिए। ग्रहण में तुलसी पूजा करना पूरी तरह से वर्जित है। इसके अलावा अमावस्या तिथि पर भी तुलसी पूजा देना वार्चित है।
घर में तुलसी का पौधा गुरुवार और शुक्रवार के दिन लगाना अति शुभ होता है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
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धार्मिक मान्यताएं हैं कि द्वादशी तिथि पर, सूर्यास्त के समय या सूर्यास्त के बाद, ग्रहण में तुलसी के पत्ते तोड़ना पूरी तरह वर्जित है। इन दिनों में तुलसी दल या तुलसी पत्ते को भगवान विष्णु को अर्पित ही करने हों तो तय दिन, तिथि या घचना से पहले ही तुलसी दल या तुलसी पत्ते को तोड़ लेना चाहिए।