
भारत के है ये 5 रहस्यमय मंदिर (सौ.सोशल मीडिया)
India Mysterious Temple List: भारत विविधताओं का देश है जहां एक से अधिक रीति-रिवाज,परम्परा संस्कृति, और धर्म को मानने वाले लोग रहते है। जैसा कि आप भली भांति अवगत है कि भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में कई छोटे-बड़े रहस्यमयी मंदिर हैं, जहां का इतिहास और कहानियां किसी को भी रोमांचित कर सकती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं भारत में ऐसे भी मंदिर हैं, जहां का प्रसाद खाना और घर ले जाना साफ तौर पर मना है।
आज के इस खबर में हम आपको भारत के 5 ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां का प्रसाद ग्रहण करना मना है। इन मंदिरों में आने वाले भक्त प्रसाद को प्रतीकात्मक रूप से ग्रहण करते हैं।
राजस्थान स्थित मेहंदीपुर बालाजी धाम नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान बालाजी को बूंदी के लड्डू और भैरव बाबा को उड़द–चावल का भोग अर्पित किया जाता है।
मान्यता है कि इस मंदिर का प्रसाद खाना या घर ले जाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जाएं व्यक्ति के साथ लग सकती हैं। इसी कारण यहां प्रसाद केवल भगवान को अर्पित किया जाता है और भक्त इसे ग्रहण नहीं करते।
हिमाचल प्रदेश स्थित नैना देवी मंदिर, जो 52 शक्तिपीठों में से एक है, यहां मां नैना देवी को फल, फूल और मिठाइयों का भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि माता का प्रसाद मंदिर परिसर के भीतर ही ग्रहण करना शुभ माना जाता है। इसे घर ले जाना निषेध है, क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है और परंपराओं के विरुद्ध समझा जाता है।
उज्जैन, मध्य प्रदेश स्थित काल भैरव मंदिर देश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान काल भैरव को शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि यह प्रसाद केवल भगवान के लिए होता है, इसलिए इसे खाना या घर ले जाना वर्जित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त इस प्रसाद को ग्रहण कर ले, तो उसके जीवन में संकट, बाधाएं और अशुभ घटनाएं बढ़ सकती हैं।
असम के गुवाहाटी में स्थित मां कामाख्या देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, जो अपनी अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। देवी के मासिक धर्म के दौरान मंदिर तीन दिनों तक बंद रहता है। मान्यता है कि इन दिनों देवी को विश्राम दिया जाता है, इसलिए इस अवधि में प्रसाद ग्रहण करना वर्जित माना जाता है और भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति भी नहीं होती।
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दक्षिण भारत स्थित कर्नाटक के कोलार जिले में कोटिलिंगेश्वर मंदिर है, जहां शिवलिंग की संख्या 100-200 नहीं बल्कि एक करोड़ है। इस मंदिर में पूजा के बाद मिलने वाले प्रसाद को केवल प्रतीकात्मक रूप से ही ग्रहण किया जाता है। इसे खाने या घर ले जाने की मनाही होती है।
खासकर शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को तो भूलकर भी ग्रहण करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह प्रसाद चंडेश्वर को समर्पित होता है।






