जानिए श्राद्ध से जुड़े जरुरी नियम (सौ.सोशल मीडिया)
Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष की अवधि बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है जोकि पूरी तरह से पितरों को समर्पित होता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों के आत्मा की शान्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसी क्रियाएं की जाती है।हिन्दू मान्यता है कि, इन 15 दिनों में लोग मृत पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए श्राद्ध से पितृ तृप्त और प्रसन्न होकर अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं और पितृ दोष से मुक्ति दिलाते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के कुछ जरूरी नियम भी होते हैं जिन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, वरना इससे पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है और पितृ दोष लगा सकता है। इसलिए यहां हम आपको बताने जा रहे है श्राद्ध से जुड़े 10 महत्वपूर्ण नियम के बारे में-
ज्योतिषयों के अनुसार, पितरों का श्राद्ध हमेशा अपराह्न यानी दोपहर के समय करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दोपहर के समय स्वामी पितृ देव माने जाते हैं।
पितरों का श्राद्ध करते समय अपना मुख हमेशा दक्षिण दिशा की ओर ही रखें और इसी दिशा में मुख करके बैठना चाहिए।इसका कारण यह है कि इस दिशा को पितृलोक की दिशा माना जाता है। पितृ पक्ष से जुड़े काम सूर्यास्त के समय नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान किए श्राद्ध का फल नहीं मिलता है।
एक बात का भी खास ध्यान रखें की श्राद्ध हमेशा अपनी जमीन या अपने स्थान पर ही करें. दूसरों के घर जमीन पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए। यदि स्वयं की भूमि पर श्राद्ध करना संभव न हो तो आप किसी तीर्थ स्थल, पवित्र नदी के पास, देवालय आदि में जाकर भी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
श्राद्ध के भोजन के लिए ब्राह्मणों को श्रद्धा और आमंत्रित करें। आप कम से कम तीन ब्राह्मण को जरूर बुलाएं और सात्विक रूप से ब्राह्मणों के लिए भोजन तैयार करें।
श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं। साथ वस्त्र या अन्न का दान देकर सम्मानपूर्वर विदा करें। कहा जाता है कि बिना दान-दक्षिणा श्राद्ध अधूरा होता है।
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कहा जाता है कि, श्राद्ध के दिन घर में पवित्रता और शांति बनाए रखें क्रोध, कलह या झगड़े करने से पितरों को तृप्ति नहीं मिलती।