नरसिंह जयंती (सौ.सोशल मीडिया)
Narasimha Jayanti 2025: भगवान नरसिंह की जयंती इस साल 11 मई को मनाई जाएगी। हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान का विशेष महत्व है। हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान नरसिंह या भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी शत्रुओं का नाश होता है और भय से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना भी बेहद जरूरी होता है।
ऐसा माना जाता है कि इन नियमों का उल्लंघन करने से भगवान नरसिंह नाराज हो सकते हैं और व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं नरसिंह जयंती के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
नरसिंह जयंती के दिन क्या नहीं करना चाहिए जानिए
किसी का अपमान
ज्योतिषयों के अनुसार, नरसिंह जयंती के दिन किसी भी व्यक्ति, विशेषकर बड़े-बुजुर्गों या कमजोरों का अपमान नहीं करना चाहिए। भगवान नरसिंह सभी प्राणियों में व्याप्त हैं और किसी का भी अनादर करने से उनका क्रोध भड़क सकता है।
मांसाहार और तामसिक भोजन
इस दिन मांसाहार और तामसिक भोजन करने से भी बचना चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। यह दिन भगवान को समर्पित है और पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।
काले या नीले रंग के वस्त्र
नरसिंह जयंती पर काले या नीले रंग के वस्त्र पहनने से भी बचना चाहिए। इस दिन पीले, लाल या केसरिया रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। यह रंग सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का प्रतीक हैं।
क्रोध और नकारात्मक विचार
इस पवित्र दिन मन को शांत और सकारात्मक रखना चाहिए। क्रोध करना या किसी के प्रति बुरे विचार लाना अशुभ माना जाता है। भगवान नरसिंह उग्र स्वभाव के जरूर हैं, लेकिन वे शांति और भक्ति को पसंद करते हैं।
ब्रह्मचर्य का पालन
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इसलिए इन दिन तन मन की शुद्धता बेहद जरूरी हैं।
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जानिए नरसिंह जयंती का महत्व
सनातन धर्म में नरसिंह जयंती का बड़ा महत्व हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय और भगवान विष्णु के अपने भक्तों की रक्षा करने की शक्ति का प्रतीक है। नरसिंह भगवान का अवतार भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और अत्याचारी असुर राजा हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए हुआ था।
इसलिए नरसिंह जयंती केवल पूजा का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का भी पर्व है। यदि भक्त इन वर्जित कार्यों से बचते हैं और पूरे श्रद्धा से पूजा करते हैं, तो भगवान नरसिंह की विशेष कृपा उन पर सदैव बनी रहती है।