दिवाली में भूलकर भी न खरीदें लक्ष्मी-गणेश की ऐसी मूर्ति (सौ.सोशल मीडिया)
Lakshmi Ganesh Murti: प्रकाश एवं उमंग का महापर्व दिवाली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। देश के हर कोने पर इस त्योहार की रौनक देखने को मिलती है। हालांकि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे हिंदू समुदाय के लोग भी बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजा के लिए भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति भी खरीदी जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि मूर्तियां खरीदते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी भी होता है।
मान्यताओं के अनुसार ऐसी मूर्तियों को घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में आइए जान लेते है भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
ज्योतिषयों के अनुसार, अक्सर लोग सुंदरता के चक्कर में अनजाने में थोड़ी-बहुत टूटी या खंडित मूर्ति खरीद लेते हैं। ध्यान रखें, खंडित मूर्ति को अशुभ और दरिद्रता लाने वाला माना गया है। मूर्ति का कोई भाग टूटा हो, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो, उसे घर में रखना वर्जित है।
ध्यान रखें कि लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां साफ-सुथरे, चमकदार और शुद्ध रंगों में हों। बहुत गाढ़े या भड़काऊ रंगों से बचें। पीतल, चांदी, संगमरमर या मिट्टी की मूर्तियां शुभ मानी जाती हैं।
दिवाली की पूजा के लिए लक्ष्मी जी का बैठा हुआ स्वरूप ही शुभ माना जाता है। खड़ी लक्ष्मी को चंचला लक्ष्मी कहा गया है, जो स्थायित्व नहीं देती। इसलिए घर में समृद्धि बनाए रखने के लिए बैठी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर ही खरीदें।
हर साल नई मूर्ति लाने की परंपरा कुछ घरों में है, लेकिन ज्योतिष के अनुसार अगर आपकी पुरानी मूर्ति संपूर्ण और शुद्ध है, तो उसे बार-बार बदलना आवश्यक नहीं है। भावनाओं से जुड़ी मूर्तियों में शक्ति होती है।
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कई बार लोग ऐसी मूर्तियां खरीद लेते हैं जिनमें लक्ष्मी और गणेश एक-दूसरे की ओर देख रहे होते हैं। लेकिन ज्योतिष और वास्तु के अनुसार, ऐसी मूर्तियां शुभ नहीं मानी जातीं। दोनों देवी-देवताओं का चेहरा सामने की ओर होना चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद सीधा पूजक पर पड़े।