पूर्णिमा पर व्रत रखना शुभ है या नहीं (सौ.सोशल मीडिया )
Purnima Vrat and Chandra Grahan 2025: 7 सितंबर, रविवार को भादो महीने की पूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा व्रत को शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-धान्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार की पूर्णिमा की खास बात ये है कि इसी दिन चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। पंचांग के अनुसार, भादो पूर्णिमा की तिथि का आरंभ 7 सितंबर, रविवार को सुबह 09:27 बजे होगा और इसका समापन 8 सितंबर, सोमवार को सुबह 07:30 बजे होगा। इसी आधार पर भादो पूर्णिमा का व्रत 7 सितंबर 2025 को रखा जाएगा।
ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या पूर्णिमा का व्रत ग्रहण के साथ रखा जा सकता है? आइए जानते हैं कि इस दिन व्रत रखना शुभ रहेगा या नहीं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा तिथि हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत रखने से सुख-समृद्धि, धन-धान्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
लेकिन, इस बार की पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण की छाया पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत तो रखा जा सकता है, लेकिन ग्रहण और सूतक काल में पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए।
पूर्णिमा तिथि पर व्रत का संकल्प ग्रहण शुरू होने से पहले लें। साथ ही पूजा-पाठ और कथा ग्रहण समाप्त होने के बाद ही करें। ग्रहण के बाद गंगाजल का छिड़काव करके शुद्धि करें और फिर भगवान सत्यनारायण की पूजा करें।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले सूतक लगता है। ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्धि करें और फिर भगवान विष्णु/सत्यनारायण की विधिवत पूजा करके कथा पाठ करें। 7 सितंबर के ग्रहण का सूतक काल 8 सितंबर को तड़के 1:26 सुबह को खत्म होगा।
इस तरह ग्रहण में व्रत रखना अशुभ नहीं है, बल्कि व्रत का संकल्प निभाना शुभ माना जाता है। हां, बस पूजा-पाठ को ग्रहण के बाद ही करना चाहिए।
पूर्णिमा के दिन प्रात स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। घर या मंदिर में भगवान विष्णु/सत्यनारायण जी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से शुद्धि करें। कलश स्थापना के बाद दीपक जलाएं और भगवान को रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसीदल, फल-मिष्ठान अर्पित करें।
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पंचामृत से अभिषेक कर सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें और आरती करें। व्रत रखने वाले दिन फलाहार करें और अगले दिन पारण कर भोजन ग्रहण करें।