भाद्रपद पू्र्णिमा पर सुकर्मा और शिववास योग का संयोग (सौ.सोशल मीडिया)
Bhadrapada Purnima 2025: सनातन धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। इस बार 7 सितंबर, रविवार को भाद्रपद मास की पूर्णिमा है। मान्यताओं के अनुसार यह दिन भगवान श्री विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से आश्विन माह की शुरुआत होती है।
इस महीने में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ऐसे में आइए जानते है भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा की शुरुआत (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार) 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर होगी। वहीं, 07 सितंबर को देर रात 11 बजकर 38 मिनट पर पूर्णिमा तिथि का समापन होगा।
इस प्रकार 07 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी। भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय शाम 06 बजकर 26 मिनट पर है।
ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद पू्र्णिमा पर सुकर्मा और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शतभिषा और पूर्वाभाद्रपद का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में स्नान-ध्यान और गुरु की पूजा करने से साधक को शुभता का वरदान मिलेगा।
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 02 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 36 मिनट पर
चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 26 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 16 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 59 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
1. भाद्रपद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा से धन और वैभव बढ़ता है।
2. इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है।
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3. भाद्रपद पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से पाप मिटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. भाद्रपद पूर्णिमा पर पितरों के लिए तर्पण, दान आदि करते हैं, इससे पितृ दोष मिटता है।