शादी के बाद के नियम जानिए (सौ. सोशल मीडिया)
इन दिनों राजा रघुवंशी मर्डर केस देश का हाईवोल्टज केस बना हुआ है। जहां पर इस मामले से जुड़े एक के बाद एक पहलू खुलते जा रहे है तो वहीं पर इसमें मृतक राजा रघुवंशी की पत्नी सोनम रघुवंशी की संदिग्धता पाई गई है। बताया जा रहा है कि, कपल शादी के कुछ दिन बाद हनीमून बनाने मेघालय गया था और वहां पर राजा रघुवंशी की मौत हो गई।
शादी को लेकर कई भारतीय मान्यताएं प्रचलित है जिसका पालन नवविवाहित दंपती को करना होता है। कहा जाता हैं कि, शादी के बाद दुल्हन को 45 दिन यानि सवा महीने तक किसी बाहरी जगह पर घूमने नहीं जाना चाहिए। इसके पीछे ज्योतिष में बताया गया है। चलिए जानते है क्या है राजा और सोनम के केस से इसका कनेक्शन..
यहां पर बताया जाता है कि, मान्यता के अनुसार, शादी के बाद एक लड़की के नए जीवन की शुरूआत होती है। जहां पर उसे अपने शरीर, मन और रिश्तों को नए सांचे में ढालकर नए परिवार में सामंजस्य स्थापित करना होता है। यहां पर इस समय को ‘शरीर और मन के संतुलन का काल’ कहलाता है, जिसे शास्त्रों में ‘ऋतु शुद्धि’, ‘गृहस्थ व्रत’, या ‘गर्भ संयम’ और आधुनिक व्याख्या में विवाहोपरांत स्त्री शरीर और मानसिक ऊर्जा संतुलन को दर्शाने के लिए ‘योनिक संयोजन’ कहा जा सकता है।
आपको बताते चलें कि, जहां पर दुल्हन के लिए यह योनिक संयोजन का गणित होता है वहीं पर ज्योतिष और शास्त्रों में इसे ‘योनिक संयोजन’ यानी नवविवाहित स्त्री के शरीर और मन का संतुलन काल मानते है। इस दौरान शरीर को एक जगह पर स्थिर रहना जरूरी होता है। राजा के मामले में भी एक ज्योतिष ने नवविवाहित दंपत्ती को घर के बाहर नहीं जाने के लिए कहा था।
योनिक संयोजन कब होता है?
चरण | अवधि | उद्देश्य |
प्रारंभिक संयोजन | पहले 7 दिन | शरीर व मन को स्थिर करने के लिए पूरा आराम देना जरूरी |
मध्य संयोजन काल | 8 से 21 दिन | मानसिक अनुकूलन और गृहस्थ जीवन में भावनात्मक तालमेल बैठाना जरूरी |
पूर्ण संयोजन काल | 22 से 45 दिन | ऊर्जा स्थिरीकरण, ग्रह दशा की सामंजस्यता, विवाहोपरांत संबंधों की गहराई. |
ज्योतिषीय आधार पर इसे कैसे समझें
ग्रह दशा | असर |
मंगल (सप्तम/अष्टम) | शारीरिक थकावट, आक्रोश, अशांति |
राहु/केतु (द्वादश/अष्टम) | भ्रम, भावनात्मक विछोह, बाहरी हस्तक्षेप |
शनि (साढ़ेसाती/ढैय्या) | मनोबल में गिरावट, अस्थिरता |
यहां पर मान्यता का पालन नहीं करने वालों के साथ दुष्प्रभाव भी जुड़े है। इसे कम करने के लिए ज्योतिषों ने मत दिए है। बताया जाता है कि, विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करते समय केवल गुण नहीं, दशा और ग्रह बल की स्थितियों की समीक्षा अवश्य कराना चाहिए। यहां पर कुंडली में अगर पापग्रह सक्रिय नजर आते हैं तो, यात्रा, तीर्थ और हवाई सफर नहीं करना चाहिए। यहां पर यह भी कहा गया है कि, शादी के बाद 30 से 45 दिन तक दुल्हन को घर में ही रखें। यह स्त्री के ऊर्जा का पवित्र संतुलन का चरण (Sacred Feminine Integration) होता है। धार्मिक मान्यताओं का ध्यान रखना जरूरी होता है ना की आधुनिकता की ओर आप आकर्षित रहें।