
नया लेबर कोड (सोर्स- सोशल मीडिया)
New Labour Code Salary Impact: भारत में न्यू लेबर कोड लागू होने के बाद कर्मचारियों की सैलरी और सोशल सिक्योरिटी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आया है। कई कर्मचारियों के मन में सवाल है कि क्या उनकी इन-हैंड सैलरी कम हो जाएगी। नए बदलावों का असर PF, ग्रेचुटी और CTC के ढांचे पर पड़ेगा। आइए समझते हैं कि नए नियम कर्मचारियों के लाभ और टेक-होम वेतन को कैसे प्रभावित करेंगे।
भारत सरकार ने चार नए लेबर कोड लागू किए हैं, कोड ऑन वेजेज 2019, इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020। इनका सीधा असर सैलरी स्ट्रक्चर, PF कंट्रीब्यूशन और ग्रेचुटी बेनिफिट पर होगा।
नए नियमों के अनुसार, बेसिक सैलरी और DA कुल सैलरी का कम से कम 50% होना चाहिए। इसके चलते कंपनियां अलाउंस कम देंगी और बेसिक पे बढ़ेगा। बेसिक बढ़ने से PF और अन्य कानूनी कटौतियां भी बढ़ेंगी, जिससे टेक-होम सैलरी कम हो सकती है।
ग्रेचुटी बेसिक पे पर कैलकुलेट होती है, इसलिए बेसिक बढ़ने से भविष्य में मिलने वाली ग्रेचुटी राशि बढ़ जाएगी। पहले ग्रेचुटी का लाभ 5 वर्ष के बाद मिलता था, लेकिन अब फिक्स्ड टर्म या कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को सिर्फ 1 साल की सेवा पर ग्रेचुटी का हक मिलेगा। गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स भी अब सोशल सिक्योरिटी से जुड़े लाभ के दायरे में आ जाएंगे।
अगर बेसिक सैलरी बढ़ती है, तो PF और अन्य कानूनी योगदान भी ज्यादा कटेंगे। इसलिए CTC वही रहने पर भी इन-हैंड सैलरी कम दिख सकती है। सबसे ज्यादा असर युवा कर्मचारियों, कम बेसिक और ज्यादा अलाउंस वाले कर्मचारियों पर पड़ेगा।
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भले ही टेक-होम सैलरी कम हो सकती है, लेकिन लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स बेहतर होंगे। लाइफटाइम ग्रेचुटी, PF सेविंग और रिटायरमेंट सुरक्षा में काफी बढ़ोतरी होगी। इसको कर्मचारियों के आर्थिक भविष्य को मजबूत करने वाली बड़ी पहल माना जा रहा है।






