
कोर्ट में तलाक। इमेज-एआई
Husband Wife Divorce: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक पारिवारिक फैसले में कहा है कि पत्नी बार-बार आत्महत्या करने की धमकी देती है और पति पर अपना धर्म (मुस्लिम) अपनाने का दबाव डालती है तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। हाई कोर्ट ने बलौद जिले के एक शख्स को तलाक देने के फैसले को सही ठहराया है।
यह फैसला जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने 4 दिसंबर को सुनाया है। पत्नी ने जून 2024 में फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। पति ने 14 अक्टूबर 2019 को गुरुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि पत्नी बार-बार आत्महत्या करने की धमकी देती थी। कभी जहर खाने की कोशिश करती, कभी चाकू से खुद को मारने की कोशिश करती और कभी मिट्टी का तेल डालकर आग लगाने की कोशिश करती है।
कोर्ट में पति ने कहा कि मैं हर समय डर के साए में जी रहा था कि कहीं वह सच में कुछ कर न ले। दोनों की शादी मई 2018 में हुई थी। पति ने बताया कि डर के कारण ही उसने पत्नी को मायके छोड़ा था। हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी का बार-बार आत्महत्या करने का प्रयास और धमकी देना पति के लिए लगातार मानसिक प्रताड़ना है। यह कानूनी रूप से क्रूरता ही है। यह भी बात सामने आई कि पत्नी और उसके परिवार वाले पति पर मुस्लिम धर्म कबूल करने का दबाव डालते थे। हालांकि, पत्नी ने इस आरोप को बिल्कुल झूठा बताया, लेकिन कोर्ट ने इसे पूरी स्थिति का हिस्सा माना।
नवंबर 2019 से पति-पत्नी अलग-अलग रह रहे हैं। पति और गांव के बुजुर्गों ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन पत्नी अपनी ससुराल वापस नहीं आई। पत्नी ने कोर्ट में कहा कि वह हमेशा पति के साथ रहना चाहती थी और पति ने सिर्फ इसलिए तलाक मांगा, क्योंकि उसने भरण-पोषण और घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया था। हाई कोर्ट ने कहा कि सारे सबूत देखने के बाद बिल्कुल साफ है कि पत्नी ने बिना किसी उचित कारण के पति को छोड़ दिया था।
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इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि पहले के आदेश के अनुसार पत्नी को हर महीने 2,000-2000 रुपये मिलते रहेंगे। उनके नाबालिग बेटे के लिए 2,000 रुपये भरण-पोषण का मिलता रहेगा। इस फैसले से एक बार फिर साफ हो गया कि शादी में सिर्फ शारीरिक मारपीट ही नहीं, मानसिक प्रताड़ना भी क्रूरता मानी जाती है। उसके आधार पर तलाक दिया जा सकता है।






