छात्रों के सुसाइड पर SC ने जताई चिंता
नई दिल्ली: राजस्थान के कोटा में लगातार छात्रों की आत्महत्याओं के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान सरकार को फटकार लगाते हुए कई गंभीर सवाल पूछे। कोर्ट ने सवाल किया कि, कोटा में ही बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? और सरकार इस समस्या से निपटने के लिए क्या कर रही है?
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर जस्टिस जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ सुनवाई कर रही है। इस दौरान पीठ ने राजस्थान सरकार के वकील से पूछा कि आप एक राज्य के तौर पर क्या कर रहे हैं? बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और सिर्फ कोटा में ही क्यों आत्महत्या कर रहे हैं? क्या एक राज्य के रूप में आपने इसके बारे में नहीं सोचा?
सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख पर राजस्थान सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि आत्महत्याओं के मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था और कोटा मामले में जांच अभी जारी है। पीठ ने कोटा आत्महत्या मामले में एफआईआर दर्ज न किए जाने पर नाराजगी जताई।
जस्टिस पारदीवाला और न्यायमूर्ति महादेवन की पीठ ने राज्य के वकील से पूछा कि कोटा में अब तक कितने युवा छात्रों की मौत हुई है। इसके जवाब में वकील ने कोर्ट को बताया कि 14 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद अदालत ने पूछा कि ये छात्र क्यों मर रहे हैं? राजस्थान सरकार कोर्ट के फैसले की अवमानना कर रही है? पीठ ने वकील से पूछा कि राज्य सरकार ने मामले में एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की? वकील ने इसके जवाब में बताया कि जिस मामले की पीठ सुनवाई कर रहीहै, उसमें छात्रा संस्थान के आवास में नहीं रह रही थी, जिसे उसने नवंबर 2024 में छोड़ दिया था, और वह अपने माता-पिता के साथ रह रही थी।
पीठ राज्य के वकील के जवाब से संतुष्ट नहीं नजर आई। इसके बाद पीठ ने आईआईटी खड़गपुर के छात्र की मौत के संबंध में 8 मई को दर्ज की गई एफआईआर दर्ज करने में चार दिन की देरी पर सवाल उठाया। कोर्ट ने संबंधित पुलिस अधिकारी से सवाल किया कि हादसे के बाद एफआईआर लिखने में विभाग को चार दिन कैसे लग गया।