Rajasthan Assembly
जयपुर: राजस्थान विधानसभा में सात दिन से चल रहा गतिरोध खत्म होने के एक दिन बाद फिर असंसदीय भाषा का मामला सामने आया। जनजाति एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान डूंगरपुर से कांग्रेस विधायक गणेश घोगरा ने भाजपा विधायक को टोकते हुए विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा, अरे, बोलो मत, वरना मेरा जूता बोलेगा। टोक मत।
हैरानी की बात यह रही कि स्पीकर समेत किसी भी विधायक ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। घोगरा ने स्पीकर से कहा, मुझे आपकी सुरक्षा चाहिए, आप भी पक्षपात न करें। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पीकर संदीप शर्मा ने कहा, आपको चेयर पर इस तरह के आरोप लगाने का अधिकार नहीं है।
बहस के दौरान आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। भाजपा विधायक समाराम गरासिया ने कहा कि “आदिवासियों का कोई अलग धर्म कोड नहीं है। वे हिंदू हैं और गर्व से खुद को हिंदू कहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “जो आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते, उन्हें अनुसूचित जनजाति में आरक्षण और आदिवासी क्षेत्र के लाभ छोड़ देने चाहिए।”
इस पर कांग्रेस विधायक गणेश घोगरा ने पलटवार करते हुए कहा कि “आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड लागू होना चाहिए। जब बौद्ध धर्म के लिए अलग कोड है, तो आदिवासियों के लिए क्यों नहीं?”
गौरतलब है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर टिप्पणी और फिर कांग्रेस के छह विधायकों के निलंबन के कारण विधानसभा में सात दिनों तक गतिरोध रहा था। कांग्रेस विधायकों ने सदन के अंदर और फिर विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।
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बुधवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेस के छह विधायकों का निलंबन समाप्त कर दिया गया था और इस बात पर सहमति बनी थी कि सभी विधायक और मंत्री मर्यादा का पालन करेंगे। लेकिन एक दिन बाद ही कांग्रेस विधायक गणेश घोगरा की इस टिप्पणी ने फिर विवाद खड़ा कर दिया। अब देखना यह है कि भाजपा इस बयान पर क्या रुख अपनाती है और विधानसभा में फिर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या नहीं।