सीएम नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह, कॉन्सेप्ट फोटो
नवभारत डिजिटल डेस्क : बिहार में लगभग 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में साल 2025 के शुरुआत से ही यहां कि सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई थी। पर अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, बिहार का सियासी पारा और बढ़ता जा रहा है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री अमित शाह बिहार पहुंचे। बिहार पहुंचकर गृह मंत्री शाह ने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। ध्यान देने वाली बात यह है कि यहां सीएम नीतीश भी मौजूद थे।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पटना में कहा है कि वह इस बात को कैसे भुला सकते हैं कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही मुख्यमंत्री बनाया था। आम लोगों के लिए यह एक सिर्फ बयान हो सकता है, पर इसके पीछे की राजनीति कुछ और ही है।
दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को दोहराने का काम किया है। बिहार के सुशासन बाबू ने अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को तब दोहराया है, जब साथ में केंद्रीय मंत्री अमित शाह मौजूद थे। इस बार उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया है कि एनडीए के साथ उनका गठबंधन अटल रहेगा।
रविवार, 30 मार्च को पटना के बापू सभागार में आयोजित सहकारिता सम्मेलन के वक्त उन्होंने यह कहकर सियासी हलकों में भूचाल ला दिया कि उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने मुख्यमंत्री बनाया था, वे कभी इस बात को नहीं भूल सकते। सुशासन बाबू की यह टिप्पणी सिर्फ एक बयान ही नहीं, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों का एक संकेत भी है।
गौर करने वाली बात यह है कि जनता के बीच सीएम नीतीश को लेकर एनडीए से महागठबंधन और फिर महागठबंधन से एनडीए की वापसी उनके राजनीतिक जीवन की एक बड़ी पहचान के रूप में स्थापित हो चुकी है। लेकिन, इस बार उन्होंने साफ कर दिया कि अब वे दोबारा इधर-उधर नहीं जाएंगे।
अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार का अटल बिहारी वाजपेयी को याद करना सिर्फ एक इमोशनल अपील ही नहीं, बल्कि इसके पीछे रणनीतिक पहलू भी है। इस बात से वे भाजपा के कोर वोटर्स को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि वे गठबंधन का धर्म निभाएंगे और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
मौजूदा समय में जेडीयू के अंदर यह चर्चा तेज हो गई है कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत को सक्रिय राजनीति में लाया जा सकता है। हालांकि, अभी तक पार्टी की ओर से इसकी कोई ऑफिशियल पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन सियासी गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि एनडीए में यह सहमति बन सकती है कि भविष्य में उन्हें कोई जरूरी भूमिका दी जाए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए के चुनावी रणनीति के तहत भाजपा और जेडीयू के बीच इस बात पर सहमति बन सकती है कि निशांत को डिप्टी सीएम का पद दिया जाए। इससे जेडीयू के वोट बैंक को संतुष्ट भी किया जा सकता है और नीतीश कुमार भी सक्रिय राजनीति से सम्मानजनक संन्यास की ओर बढ़ सकते हैं।
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भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, अगर इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत होती है, तो नीतीश कुमार कुछ समय बाद मुख्यमंत्री का पद किसी भाजपा नेता को सौंप सकते हैं। इस रणनीति से न केवल भाजपा को बिहार में मजबूती मिलेगी, बल्कि नीतीश कुमार को अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति उनकी राजनीतिक निष्ठा का एहसास कराने का अवसर मिलेगा। बदले में भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार के बेटे निशांत को एक सशक्त भूमिका देकर जेडीयू के भविष्य को सुरक्षित करने का प्रयास जारी रख सकती है।