सीएम नीतीश और गृह मंत्री अमित शाह, फोटो - सोशल मीडिया
नवभारत डिजिटल डेस्क : इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में करीब 6 महीने का वक्त बाकी है। पर 6 महीने पहले से ही बिहार की सियासत की चर्चा पूरे देश में होनी शुरू हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक पार्टियां एकदम अगले लेवल की रणनीति तैयार करने में लगी हुई है।
इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भजपा लगातार कोशिश कर रही है। कभी खुद पीएम मोदी बिहार पहुंचकर रैली करते हैं, तो कभी राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह बिहार में डेरा डाल देते हैं।
इतना ही नहीं बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार भी अपने कोर वोटर को साधने के लिए पुरानी बात बात बार-बार दोहरा रहे हैं। आपको तो सीएम नीतीश की यह बात याद होगी ही कि ‘हमसे गलती हो गई है, अब यह गलती दोबारा कभी नहीं करेंगे।’ इसी बात को बिहार के सुशासन बाबू ने एक बार फिर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने दोहराई है और इस बार उन्होंने इस बात को भी जोड़ा है कि उन्हें मुख्यमंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया है। मतलब सुशासन बाबू कहना चाहते हैं कि उनका गठबंधन भाजपा के साथ अटूट है।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की माने तो, अगर इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए अलाएंस की जीत होती है, तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार कुछ समय बाद अपनी मुख्यमंत्री का पद किसी बीजेपी नेता को सौंप सकते हैं। इस रणनीति से न केवल भाजपा को बिहार में मजबूती मिलेगी, बल्कि नीतीश कुमार को अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति उनकी राजनीतिक निष्ठा का एहसास कराने का भी अवसर मिल पाएगा। इसके एवज में भाजपा बिहार के सुशासन बाबू के बेटे निशांत को एक सशक्त भूमिका देकर जेडीयू के भविष्य को सुरक्षित करने का प्रयास कर सकती है।
सीएम नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह, कॉन्सेप्ट फोटो
आपको बता दें, बिहार की राजनीति का यह नया समीकरण कई तरह के बदलावों की ओर इशारा करता है। सीएम नीतीश कुमार बीजेपी के साथ अपनी निष्ठा बनाए रखेंगे और अपनी राजनीतिक छवि को अब एक स्थायी विराम दे सकते हैं। सीएम नीतीश के बेटे निशांत की बिहार की राजनीति में एंट्री हो सकती है, जो जदयू के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। इस नए रणनीति के तहत भाजपा को बिहार में एनडीए का नेतृत्व हासिल करने का अवसर मिल पाएगा, जिससे पार्टी राज्य में अपनी पकड़ और मजबूत कर पाएगी।
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बिहार की राजनीति में और हर पल हर कदम रणनीतिक होता है। और ध्यान देने वाली बात यह है कि सीएम नीतीश कुमार इस खेल के काफी अनुभवी खिलाड़ी हैं। उन्होंने अब तक यह साबित किया है कि वे अपनी शर्तों पर राजनीति करते हैं। लेकिन, 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनका बयान और भाजपा के साथ उनका तालमेल एक नए सियासी समीकरण की पटकथा लिखने में लगा हुआ है।